Original Khooni Neelam, VVS3 grade. |
दिल्ली
के एक प्रसिद्ध जोहरी की कहानी मझे ध्यान है, वे करोड़पति थे, किन्तु काल के प्रभाव
से धीरे धीरे आर्थिक दृष्टि से वे विपन्न हो गए | चरों भाई लगभग कंगाल बन्ने की
स्थिति में चले गए | उनके मकान बिक गए, दूकान लगभग बंद सी हो गयी.. गाड़ियाँ आदि
बिक गए | इन्हीं दिनों में उनके बड़े भाई मुझसे मिले, और अपनी दुःख व्यथा उन्होंने
मुझे कह सुनाई | मैंने उनके हाथ को देखकर कहा, “यों तो खूनी नीलम धारण करना कोई भी
पसंद नहीं करता, परन्तु तुम्हारे लिए वह लाभदायक है, यदि तुम कहीं से प्रयत्न कर खूनी
नीलम प्राप्त कर धारण कर लो, तो वापिस तुम उन्नति कर सकते हो |”
उन्होंने
प्रयत्न किया, तो एक व्यक्ति ने बताया कि मेरे पास खूनी नीलम है, पर इसके प्रभाव
से मैं बर्बाद हो गया हूँ, मैंने तो उसे locker में रख छोड़ा है, मैं
तो जाकर हाथ भी उसे लगाऊंगा नहीं, यदि आप चाहें तो मेरे साथ चलकर उसे ले सकते हैं,
आप जो भी धनराशी देंगे, मैं स्वीकार कर लूँगा |
जौहरी को वह सात लाख का खूनी नीलम पचास हज़ार में प्राप्त हो गया, उन्होंने वह नीलम
सोने की अंगूठी में जड़वा कर धारण कर लिया | उंसी दिन से उनके भाग्य ने जो पलटा
खाया, मात्र छः महिनों में ही वह फर्म वापिस करोड़ों में खेलने लगी, और आर्थिक
दृष्टि से अत्यधिक मजबूत हो गयी | आज भी वे अपनी उन्नति का कारण खूनी नीलम ही
मानते हैं, और वे जौहरी हमेशा उसे पहने रहते हैं |
- Dr. Narayan Dutt Shrimali
(Year 1975 incident).
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