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Wednesday, March 26, 2014

ढाई आखर प्रेम के, पढ़े सो पंडित होए !



शुक्र ग्रह जन्म-कुण्डली में अच्छा फल दे रहा हो तो वाणी में मिठास, सुन्दरता, आकर्षण, सौम्यता, ऐश्वर्य प्रदान करता है | पूज्य सदगुरुदेव जी के भी कुंडली में शुक्र १२ वें स्थान में था, अत्यंत शुभ फल देने वाला..., अमिताभ, धर्मेन्द्र आदि में भी यही शुक्र ग्रेह की प्रधानता थी/है | कोई भी व्यक्ति अगर चाहे तो शुक्र के शुभ फल प्राप्त कर सकता है, इस प्रकार से -

अपने घर के पास कोई सफ़ेद गाय खोज लें, या जहाँ वो बैठी रहती हों पता कर लें, वहां रोज जाकर के पूरे हथेलियाँ भरकर आलू लेजाकर खिला देवें ! यह उपाय किसी भी दिन से शुरू कर सकते हैं, एक भी दिन बिना छोड़े कम से कम 40 से 43 दिन तक करें, मगर शुभ फल की सूचना हफ्ते भर के अन्दर-अन्दर मिल जाएगी !

किसी के प्रेम सम्बन्ध में असफलता हो रही हो तो समझ लेना चाहिए किसी दूसरे ग्रह की वजेह से शुक्र बुरा फल दे रहा है ! कोई करे फिर अनुभव करेगा लोग स्वतः ही आकर्षित होते चले जायेंगे, यह भी न कर सकें अगर, तो सफ़ेद वस्त्र धारण किया करें, इससे भी उपरोक्त लाभ प्राप्त होते हैं !

शुक्र रत्न - हीरा,
रंग - सफ़ेद,
कारकत्व - प्रेम, सौंदर्य, ऐश्वर्य !




Sunday, March 2, 2014

7 Secrets of LAL KITAB



लाल किताब के ७ रहस्य  



ज्योतिष ग्रंथों में जितनी महत्वता वैदिक नियमों को दी गयी है, उतना ही सामान्य जन साधारण में लाल किताब के उपाय मशहूर हुए | लोगों ने इन उपायों को किया, जांचा, परखा  और देखा कि सरल से दिखने वाले चीज भी वास्तव में ही अपने अप में विशेष प्रभाव लिए हुए हैं, विश्वसनीय हैं .. प्रमाणिक हैं | इसके अनुसार यदि हम अपने और परिवार की कुण्डली का अध्ययन करते हैं तो आसानी से ये पता कर सकते हैं कि जीवन में आखिर वो कौन से ग्रह हैं जिसके वजेह से लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है | आखिर वह कौन से उपाय हैं जिसको करने पर वह ग्रह कुप्रभाव देना बंद कर देगा | और आखिर वह कौन सा ग्रह है जिसके प्रभाव को अनुकूल बनाकर जीवन में मनोवांछित फल की प्राप्ति हम कर सकते हैं |


उदाहरण के लिए, यदि आँखों में चश्मा लग गया है, तो चाहे वो खानदानी जेनेटिक इन्फ्लुएंस से हो, या किसी भी अन्य कारणों से हुआ हो, इसका समाधान छुपा हुआ है केवल सूर्य में ... और इसके उपाए में ..
हमारे शरीर में ग्रहों के जो स्थान हैं, उनमे से सूर्य का स्थान है दायें नेत्र में.. और चन्द्र स्थित है वाम नेत्र में.. ठीक है ! अब इससे ये समझ में आता है कि दायें नेत्र और इसके फल स्वरुप बाएँ नेत्र में न्यूनता इसी कारन से ई होगी जब हम पर सूर्य ग्रह का शुभ प्रभाव नहीं प् रहा होगा ! और चन्द्रमा सूर्य की ही रौशनी पाकर प्रकाशित होता है, यह बात तो हम जानते हैं .. मतलब की सूर्य यदि कमजोर है तो चन्द्र भी दुर्बल हो गया | तो इस हेतु आप यदि सूर्य का उपाय कर लेंगे तो निश्चित जानिए उपाय पूर्ण होते-होते आपकी नेत्र ज्योति वापिस आ ही जाएगी, निश्चित समझिये ! हाँ, मगर मेरी ये सलाह है कि मात्र टीवी या अखबार में पढ़कर के उपाय नहीं करने लग जायें, क्यूंकि उसमे अधूरी बातें बतलाते हैं, कोई एक दो दिन के उपाय से पूरी तकदीर नहीं बदलेगी, उसको तो पूर्ण विधि विधान से ही करना होगा, अछि तरेह से समझ के, जान के, फिर..


इनके विभिन्न उपाय के बारे समय समय पर लिहता रहूँगा अभी कुछ सामान्य उपाय दे रहा हूँ जो कि सामान्य से नज़र आने के बावजूद भी असरदायक है, अपनाने योग्य हैं, आप इसे अपने जीवन में अपनाएं मुझे उम्मीद है आपको अवश्य लाभ होगा


सोमवार - चन्द्र का उपाय - जन्म कुण्डली में चन्द्र कमज़ोर है, तो सोमवार को खीर बनाएं, उसे ठंडा होकर रात को लें | सफे वस्त्र पहनें | जिसका स्वभाव उग्र हो, वो भी ये उपाय कर सकता है | इससे शिव कृपा भी प्राप्त होती है ! स्त्रियाँ सुन्दरता प्राप्ति के लिए और आकर्षक व्यक्तित्व प्राप्त करने के लिए ये उपाय कर सकती हैं | इस दिन श्वेत चन्दन का तिलक करें |

मंगलवार - क़र्ज़ मुक्ति हेतु - यदि क़र्ज़ हो गया हो, कोई उपाय नहीं सूझ रहा हो तो ४ किलो, या कम से कम सवा किलो मसूर दाल दान दें, अथवा बहते पानी में डालें | अगर पुलिस का चक्कर अचानक पड़ गया हो किसी भी वजेह से तो ये उपाय तुरंत असर करेगा (यदि बेक़सूर है तो..)

बुद्धवार - व्यापारिक उन्नति हेतु हरी दाल कम से कम सवा किलो गायेओं को खिलावें |


गुरुवार - इस दिन कढ़ी चावल खाएं, ब्राह्मणों और विद्वानों की सेवा करें, अगर संभव हो उन्हें पीत वस्त्र दान दें, विद्या प्राप्ति, धन प्राप्ति, पुत्र लाभ होगा !


शुक्रवार - इस दिन इत्र लगाने से और दही का दान करने से शुक्र के शुभ फल प्राप्त होते हैं | पत्नी से मनमुटाव हो जाता हो तो ट्राई मारें | :D


शनिवार - शनी पूजन करें  |


वास्तव में लाल किताब कोई टोना टोटका नहीं है, बल्कि एक इसके अन्दर में उच्च कोटि का वज्ञानिक तथ्य समिष्ट है जो कि एक बार में ही सुनने में अजीब स लगता है, मगर यकीन मानिये जितना अजीब ये सुनने में लगता है उतनी ही तीव्रता से इससे समाधान भी होता है | 


Thursday, January 23, 2014

ईष्ट निर्धारण जन्म-कुण्डली से

पिछले लेख को पढके अधिकतर साधकों के मन में ये प्रश्न उठा कि ये कैसे ज्ञात करें की उन्हें किस साधना में जल्दी सफलता मिलेगी ?? तो यह तथ्य भी वह अपनी जन्म-कुंडली को दखकर बड़ी सरलता से पता कर सकता है | ज्योतिष और कुण्डली अध्ययन भले ही दुरूह और पेचीदा विज्ञान रहा हो मगर कुछ निर्धारित योगों का मिलाप करना तो किसी भी व्यक्ति के लिए सहज सुलभ है | आप भी बस थोड़े प्रयत्न से ही इसे देख सकते हैं और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं | यह योग सर्व प्रथम पूज्य गुरुदेव ने स्पष्ट किये थे जिसे पूरे भारतवर्ष के विद्वानों ने सराहा है और प्रशंशा की है | 



जन्म-कुण्डली में 12 घर होते हैं, जिसे भाव कहते हैं | इसमें 9वें घर, नवम् भाव से उपासना का ज्ञान होता है | इससे सम्बंधित तथ्य इस प्रकार से हैं -







१. यदि जन्म-कुण्डली में बृहस्पति, मंगल एवं बुद्ध साथ हो या परस्पर दृष्टि हो तो वह व्यक्ति साधना क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है |

२. गुरु-बुद्ध दोनों ही नवम भाव में हो तो वह ब्रह्म साक्षात्कार कर सकने में सफल होता है |

३. सूर्य उच्च का होकर लग्नेश के साथ हो तो वह श्रेष्ठ साधक होता है |

४. यदि लग्नेश पर गुरु की दृष्टि हो तो वह स्वयं मंत्र स्वरुप हो जाता है, मंत्र उसके हाथों में खेलते हैं |

५. यदि दशमेश दशम स्थान में हो तो वह व्यक्ति साकार उपासक होता है |


६. दशमेश शनि के साथ हो तो वह व्यक्ति तामसिक उपासक होता है |

७. अष्टम भाव में राहू हो तो जातक अद्भुत मंत्र-साधक तांत्रिक होता है |

८. दशमेश का शुक्र या चन्द्रमा से सम्बन्ध हो तो वह दूसरों की सहायता से उपासना-साधना में सफलता प्राप्त करता है |

९. यदि पंचम स्थान में सूर्य हो, या सूर्य की दृष्टि हो तो वह शक्ति उपासना में पूर्ण सफलता प्राप्त करता है |

१०. यदि पंचम एवं नवम भाव में शुभ बली ग्रह हों तो वह सगुणोपासक होता है |


११. नवम भाव में मंगल हो या मंगल की दृष्टि हो तो वह शिवाराधना में सफलता पा सकता है |

१२. यदि नवम स्थान में शनि हो तो वह साधू बनता है | ऐसा शनि यदि स्वराशी या उच्चराशी का हो तो व्यक्ति वृद्धावस्था में विश्व प्रसिद्द सन्यासी होता है |

१३. जन्म-कुंडली में सूर्य बली हो तो शक्ति उपासना करनी चाहिए |

१४. चन्द्रमा बलि हो तो तामसी उपासना में सफलता मिलती है |

१५. मंगल बली हो तो शिवोपासना से मनोरथ प्राप्त करता है |

१६. बद्ध प्रबल हो तो तंत्र साधना में सफलता प्राप्त करता है |


१७. गुरु श्रेष्ठ हो तो साकार ब्रह्म उपासना से ख्याति मिलती है |

१८. शुक्र बलवान हो तो मंत्र साधना में प्रणता पाता है |

१९. शनि बलवान हो तो तंत्र एवं मंत्र दोनों में ही सफलता प्राप्त करता है |


२०. ये लग्न या चन्द्रमा पे दृष्टि हो तो जातक सफल साधक बन सकता है |

२१. यदि चन्द्रमा नवम भाव में हो और उसपर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो वह व्यक्ति निश्चय ही सन्यासी बनकर सफलता प्राप्त करता है |

२२. दशम भाव में तीन ग्रह बलवान हों, वे उच्च के हों, तो निश्चय ही जातक साधना में सफलता प्राप्त करता है |

२३. दशम भाव का स्वामी सप्तम भाव में हो जातक तांत्रिक होता है |

२४. दशम भाव में उच्च राशी के बुद्ध पर गुरु की दृष्टि हो तो जातक जीवन मुक्त हो जाता है |

२५. बलवान नवमेश गुरु या शुक्र के साथ हो तो व्यक्ति निश्चय ही साधना क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है |

२६. यदि दशमेश दो शुभ ग्रहों के बिच में हो तो जातक को साधना में सम्मान मिलता है |

२७. यदि वृषभ का चन्द्र गुरु-शुक्र के साथ केंद्र में हो तो व्यक्ति उपासना क्षेत्र में उन्नत्ति करता है |

२८. दशमेश लग्नेश पर परस्पर स्थान परिवर्तन योग यदि जन्म-कुण्डली में हो तो व्यक्ति निश्चय ही सिद्ध बनता है |

२९. यदि सभी ग्रह चन्द्र और गुरु के बीच हों तो व्यक्ति तांत्रिक क्षेत्र की अपेक्षा मंत्रानुष्ठान में विशेष सफलता प्राप्त कर सकता है |

३०. यदि केंद्र और त्रिकोण में सभी ग्रह हो तो साधक प्रयत्न कर किसी भी साधनों में सफलता प्राप्त कर सकता है |


इसके अलावा भी और कई योग होते हैं, साधक यूँ एक से ज्यादा देवी-देवताओं की अर्चना भी कर सकता है, जैसे की अगर किसी के ईष्ट राम हैं तो वह लक्ष्मी साधना भी कर सकता है, शिव साधन भी करे, हनुमान साधना भी करे ही क्यूंकि गृहस्थ जीवन में पूर्णता प्राप्त करने के लिए कई देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करना सहायक ही होता है |
- "मंत्र रहस्य" by Dr. Narayan Dutt Shrimali.