सिद्धेश्वरी
नवरात्री..... परम पूज्य सदगुरुदेव प्रवचन आरम्भ करते हैं...
श्री
सूक्त के 16 श्लोक, उनकी दिव्य वाणी में
वातावरण में गुंजरित हो रहे हैं ....
पूरा
शिविर स्थल बिलकुल चुप..... शांत भाव से, मंत्रमुग्ध
उन्हें ही एक टक देख रहा है.. सुन रहा है...
न जाने
आज 'महालक्ष्मी' से सम्बंधित कौन
सा गुप्त तथ्य मालूम चलेगा !
सदगुरुदेव ने श्लोकों का पाठ कर अपने प्राणों से प्रिय शिष्यों की ओर
प्रेम से भरे नेत्रों से देखा और कहा, यह ऋगवेद से लिया
हुआ "श्री सूक्त", लक्ष्मी का सबसे प्रिय सूक्त है,
इन्हीं १६ श्लोकों में स्वर्ण निर्माण की अत्यधिक गोपनीय विधि छुपी
हुई है, और है पारद लक्ष्मी की सम्पूर्ण साधना भी ! भले ही
हमें संपत्ति न मिले, भले ही व्यापार में घाटा हो रहा हो,
जन्म-कुंडली के ग्रहों में चाहे जैसी भी योग हों, अगर इस वर्णन के अनुसार ऐसी पारद लक्ष्मी यानि "पारदेश्वरी" का
निर्माण करके घर में स्थापित कर दिया जाये तो चारों पुरुषार्थ को हासिल करने से
हमें कोई नहीं रोक सकता ! हम 4 पुरुषार्थ, या जीवन जो भी हमारी इच्छा होती है, वह चाहे धर्म से
सम्बंधित हो, वह चाहे अर्थ से सम्बंदित इच्छा हो, वह चाहे काम हो चाहे मोक्ष की इच्छा हो, निश्चित ही
हम उसे पूर्ण करने की ओर अग्रसर होते हैं ! ऐसे विशुद्ध संस्कारित पारद लक्ष्मी का
निर्माण राजस मन्त्र से किया जाता है, फिर उसके घर में 1008
प्रकार की लक्ष्मी का वास होता ही है ! वास्तव में हमने अभी तक "श्री
सूक्त" और "लक्ष्मी
सूक्त" के
गुप्त अर्थों को नहीं समझा है, अतः उसके मर्म को समझना जरुरी
है !.........
सद्गुरुदेवजी ने इन शिविरों के माध्यम से हमें बहुत कुछ, माफ़ करना भाई बहुत कुछ नहीं, बल्कि लगभग सबकुछ बता
ही दिया था, और अपना कार्य करके वे शरीर त्याग कर चले भी गये,
परन्तु उन्होंने कुछ शिष्यों को, जो इस लायक
थे.. जो मेहनती थे... दृढ़ निश्चयी थे, उन्हें पारद संस्कार
की पूरी विधि भी प्रायोगिक सिखाई, करवाई ! अब प्रश्न ये है की अब जो शिष्य नए आए हैं,, उनका क्या.. क्या वो इस परम सौभाग्य से अछूते रह
जायेंगे ? तो क्या सदगुरुदेव जी का दिव्य ज्ञान फिर लुप्त हो गया ??
क्या अब ऐसी सामग्रियां प्रयत्न करके भी हम निर्माण नहीं कर सकते ?
उसके बारे में विचार करने से पहले हम थोड़ा पारद के विषय में समझ लें | पारद विज्ञान, जो की चौसठ तंत्रों में अंतिम और सबसे
श्रेष्ठ विद्या मानी गयी है, इतना सरल भी नहीं है की हर कोई
इसमें उत्तीर्ण ही होगा.. हाँ ! कोशिश तो कितनों ने की... कुछ तो आधे रास्ते से ही हारकर मुड़ गये, कुछ तो पूरी तरह बर्बाद ही हो गये धातु
परिवर्तन के चक्कर में ! क्यूंकि यह विज्ञानं इतना भी सरल नहीं है जितना की पढने
में या सुनने में लगता है | पहले स्वेदन संस्कार, स्वेदन
के बाद मर्दन, मर्दन के बाद फिर मूर्छन संस्कार ...... केवल कह देने
से ही या 1 से लेकर 8 गिनती कर लेने से
तो संस्कार नहीं हो जाते, इसमें लगता है समय, तरकीब और आर्थिक मजबूती की सख्त आवश्यकता तो होती ही है ! बिना धैर्य के और सही
शिक्षक के यह क्रिया तो असंभव ही है ! आप कोई मंत्र उठा कर किसी भी तरह से जाप
करके अपने आपको खुश रख सकते हो, और हो सकता है आपको सफलता भी मिल जाये, पर पारद संस्कार में नहीं... इसमें सफलता से तो कोसों दूर रहेंगे ही,
पर कई जगहों पर तो तो यह खतरनाक भी सिद्ध हो सकता है, और कुछ नहीं तो आर्थिक दृष्टि से तो आपके लिए खतरनाक हो ही सकता है, क्यूंकि आप खुद कभी पता करें जाकर, पारद का रेट क्या है..?
7,000 रूपये किलो.....
इसके बाद, इसमें उपयोग की कई वस्तुएं होंगी, खरल पात्र, औशद्धियाँ, जलावन,
अन्य सामग्री की तो लम्बी सी लिस्ट आपके सामने होगी, इसपर कोई गुरुभाई, यदि आपके लिए अत्यधिक प्रेम से,
केवल इस विद्या को जिन्दा रखने के लिए आपको प्रेम स्वरुप कुछ ८-९ के
आसपास कीमत बताकर पारद सामग्री दे रहे हैं, तो विश्वास करिए
इससे ज्यादा फायदे की बात आपके लिय इस संसार में कोई नहीं होगी ! क्यूंकि पारद को
जिसके की दर्शन मात्र से 1000 गायों पर किया हुआ पाप भी धुल जाता है, ऐसे पारद को आप यदि घर में स्थापित करेंगे, और नित्य
पूजन करेंगे, तो कुछ ही दिनों में आप खुद भागे-भागे जायेंगे
और उस गुरु भाई के चरण स्पर्श करेंगे इसके प्रभाव से खुश होकर | पर यहाँ भी ये बात जरूर होगी भाई, की आपको सही तरीके
से उसपे साधना तो अवश्य संपन्न करनी ही होगी ! क्या अब वह भी आप किसी दूसरे पे ही
डाल देना चाहते हैं ! बिना मेहनत के तो इस संसार में कुछ मिला ही नहीं किसी को,
और इसमें तो पारद के विग्रह को तैयार करने में ही जो मेहनत लगी,
समझिये 90% कार्य तो आपका हो गया, अब इतना सा 10% का कार्य तो आपको खुद ही आधे घंटे नित्य देकर के करना होगा ! नहीं तो वह तो
अपनी जगह पड़ा रहेगा, सो पड़ा रहेगा !
कई भाइयों ने मुझसे आकर चुपके से कहा..(चुपके से इसलिए क्यूंकि कुछ
को लगता है मैं बहुत गुस्से वाला हूँ :) भाई मैं गुस्से वाला नहीं हूँ, बिलकुल .....) उन्होंने कहा की भाई मैंने कनकधारा साधना की,, लक्ष्मी साधना भी की, पूरे नियम से की, अपने से जितना हो सका, किया, हुआ
कुछ नहीं.... गुरुभाई, बड़ी विडम्बना है !
पारद गणपति है मेरे पास, पारद शिवलिंग,
पारद लक्ष्मी भी लिया हुआ है मैंने, अभी तक तो
धन का भण्डार लगा हुआ होना चाहिए था मेरे घर में, मैं तो
उलटे कर्जे में हूँ ! और गुरुधाम से ली है मैंने, तो फिर
होगी तो छेज सही !!
हूँ....... अब उनको क्या बोलूं .. ये कलयुग है... बस यही कहूँगा की
अगर कहीं से भी, 'कहीं से भी'...... चाहे वह
कितना ही सम्मान जनक स्थान क्यूँ न हो, बेचने वाला कितना ही
तारीफ क्यूँ न करे, आप उस विग्रह को खुद जांच करके अवश्य देख
लें ! अब मैं औरों की क्या कहूँ, यहाँ तो लोग दूकानदार को ही
जाकर दिखने लग जाते हैं की भाई देख, तू तो जौहरी है, तू बता....? कि क्या ये रत्न असली पुखराज है ?..... अब वह तो जौहरी भी नहीं बता सकता, चाहे उसके बाल दुकान पे बैठते-बैठते सफ़ेद भी हो गये हों, जरुरी
नहीं है कि बता सके सही-सही, वह तो सिर्फ लैब टेस्टिंग से पता कर सकते
हैं !... की पुखराज की हार्डनेस अगर 9 आ रही है तो पुखराज है... अगर 6 या 7 आ रही
है Hardness तो Topaz है ! पुखराज जहाँ ३५-४० हज़ार का आता है, टोपाज बस ३-३,५०० में मिल जाना चाहिए !
पारद सामग्री कभी भी ३०० से लेकर ६०० रूपये में नहीं आ सकती !
१०००-२००० में भी नहीं आ सकती, जो की हर गली कूचे में आज कल
बड़ी आसानी से मिल जाता है, वह असल में पारद है, या लेड है, या हिंदुस्तान लिमिटेड सिल्वर कोटेड
शिवलिंग है, इसको तो आसानी से मालूम कर सकते हैं, अगर चाहें तो ! इसीलिए, सुविधा के लिए, मैंने अभी जिन-जिन को प्राण-प्रतिठित रत्न दिए, उसकी
लैब से जांच करवा के दिए हैं ... ORIGINAL LAB CERTIFICATE के
साथ, प्रमाण के साथ, की वह देख लें और
निश्चिंत हो जायें की असली, नेचुरल पुखराज है ! और मैंने अभी
आज ही एक महान ज्योतिष को 75-80 हजार का केवल एक रत्न बेचते
हुए पकड़ा था ! उसका लिंक भी आप चाहो तो मुझसे ले लेना ! आप अनुमान लगायें मैं
मात्र ४ हजार रू० रत्ती में 6-7 रत्ती का श्रेष्ठ वर्ण का
रत्न देकर कितना बड़ा नुकसान सह रहा होऊंगा, आप सब गुरुभाइयों
के लिए ! मुझे क्या जरुरत थी मैं तो सीधा-साधा दूकान खोलकर के बैठ जाता ! तो फिर
ये कुंडली देखकर के और सिरदर्दी करने की क्या जरुरत थी ?? जरूरत
थी... क्यूंकि कोई भी यहाँ विश्वास का काम कर नही रहा था, इसलिए
जरुरत थी .. और यह भी न हो आपको तो उपरत्न होते हैं जो की 3-3,500 का दिलवाया है आप वह धारण कर लें, मगर करें, एक बार भरोसा तो.... नकली चीजों को लेकर अपने सपनों की दुनिया में मत
खोइय्ये ! प्रत्येक के जीवन में किसी एक ग्रह का आधिपत्य अवश्य रहता है, जो भाग्योदय करता ही है, उसका रत्न न ले सकें,
तो उपरत्न प्राण-प्रतिष्ठित करवाके, उस ग्रह
के मन्त्रों से सिद्ध कराके, उसको धातु में डालकर शुभ
मुहूर्त में धारण करें, ताकि वह सूर्य के किरणों से ऊर्जा
लेकर आपके अन्दर उस ग्रह के अछे प्रभाव को समावेश कर सके, उन्नति
दे सके !
इस विषय
में सदगुरुदेव जी की पुस्तक रत्न-ज्योतिष की कुछ बातें स्पष्ट कर दूं-
रत्नों
की सहायता लेकर हम जीवन की सभी प्रकार की परेशानियों से निदान पा सकते हैं इस हेतु
नुकसानदेह ग्रह के शत्रु ग्रह को विधि पूर्वक धारण करने से निश्चित ही मनोनुकूल
परिणाम मिलने लग जाते हैं ! पर बिना प्राण-प्रतिष्ठा के रत्न तो बस एक पत्थर का
टुकड़ा ही है ! इसलिए उस ग्रह की हवन पद्धती से प्राण-प्रतिष्ठा करवाकर ही धारण
करने से पूर्ण लाभ हम प्राप्त कर सकते हैं!
(क्रमशः)
रत्न प्राण-प्रतिष्ठा विधि अगली पोस्ट में...
(क्रमशः)
रत्न प्राण-प्रतिष्ठा विधि अगली पोस्ट में...
असली पारद शिवलिंग की पहचान तीन तरह से होती है:-
ReplyDelete1.अगर पारद शिवलिंग को हथेली पे घिसा जाये तो काली लकीर नहीं पड़नी चाहिए, हथेली पे कालिख नहीं आनी चाहिए
2. जब पारद शिवलिंग को जल में रख कर धुप में रखा जाता है तो कुछ समय बाद पारद शिवलिंग पर शुद्ध स्वर्ण जैसी आभा आ जाती है
3.अगर लैब में टेस्ट करवाने पर टेस्ट रपोर्ट में जस्ता ( zinc) , सिक्का ( lead) और कलई ( tin) ये धातुएं आ जाएं तो पारद शिवलिंग नकली और दोषयुक्त होता है , क्योंके रसशास्त्र में इन धातुओं को पारद के दोष कहा गया है । असली और प्रमाणिक पारद शिवलिंग बनाने के लिए पारद को इन धातुओं से मुक्त करना होता है , पारद का पाँचवा संस्कार (पातन संस्कार ) इन धातुओं से पारद को पूर्णतः मुक्त करने के लिए ही किया जाता है ।
G.S Rana
9815922952
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आपका पता देना आपकी जानकारी
ReplyDeleteपारद शिवलिंग कीमत
ReplyDeleteपारद शिवलिंग कीमत
ReplyDeleteGive me a phone number....
ReplyDeleteThanks to about your advice
ReplyDeleteSir sfatik ling ki test kaise karte hai
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