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Thursday, April 17, 2014

अश्वत्थामा चिरंजीवी !




महाभारत के आखिरी रात को जब समस्त कुरु वंश का नाश हो गया, सिवाए सिर्फ ३ के, जब कोई भी न बचा... उन तीन योद्धाओं में से अश्वत्थामा, जो कि मित्र दुर्योधन की मृत्यु का दुःख सह नहीं पा रहा था, उसने कसम खा ली थी वह पांडवों से हर हाल में प्रतिशोध लेगा.... तब उस रात्री को उसने एक अनर्थ कर दिया !





जो की क्षत्रिय धर्म में कहीं भी देखा, सुना नहीं गया था.. एक ऐसा कायरता पूर्ण कदम उठा लिया और उसने उन पाँचों पांडव पुत्रों की और पांचालों की हत्या रात में उनके सोते समय कर दी, जिसका परिणाम ये हुआ कि उसे न मृत्यु मिली.. न चैन का जीवन...जब उसने पांडवों के आखरी होने वाले पुत्र, अर्जुन पुत्र, द्रौपदी के गर्भस्थ शिशु पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया, तब श्री कृष्ण ने क्रोधित होते हुए उसे कहा की तू उन सबके पापों का भार अपने सिर पर लेकर के ३००० वर्ष तक भूत की तरेह इन जंगलों में भटकेगा, बिना प्रेम और स्नेह के... और कलियुग के अंत तक एकांत ही रहेगा, न तो तेरे घाव भरेंगे, न तेरा दुःख कम होगा ! यही तेरा प्रारब्ध है !

जोधपुर के गुरुभाई और अन्य कई जगहों पर ये चर्चा मशहूर है.. कि अश्वत्थामा को कई बार देखा गया है, बल्कि कुछ खिस्से तो हाल ही के हैं ! इसमें सहज ही तो किसी को विश्वास नहीं होता सुनकर, पर भला श्री कृष्ण, स्वयं नारायण की बात... मिथ्या.. क्या हो सकती है ?

पहली कहानी - कुछ दस-बीस साल पहले एक रेलवे कर्मचारी का नवसारी(गुजरात) के जंगलों में जाना हुआ, जहाँ उसने एक ऊंचे कद के व्यक्ति, लगभग १२ फीट, से मिलने की बात बताई ! उसके सिर पे गहरे घाव के निशान दिख रहे थे ! उससे बात करने पर उसने बताया की भीम उससे भी ज्यादा लम्बा और बलवान था !
यहाँ कहानी अखबार में छपी थी !

दूसरी कहानी - पायलट बाबा के लिखे गये, "हिमालय कह रहा है" नामक पुस्तक में इसके बारे में प्रमाणिक अनुभवगम्य जानकारी दी गयी थी, आप स्वयं उसे पढ़ सकते हैं-



तीसरी  कहानी - पृथिवी राज चौहान, मुहम्मद घोरी से युद्ध में छल पूर्वक हरा देने पर जंगल के लिए चले गए थे ! वहां इन्हें एक बूढा साधू मिला, जिसके सिर पे गेहरी चोट थी ! पृथ्वीराज बहुत अच्छे वैद्य तो थे ही, उन्होंने पूरे विश्वास के साथ उनके घाव को ठीक कर देने की बात कह दी ! साधू मान गया !
मगर हफ्ते भर के इलाज के बाद भी जब घाव थोड़ा सा भी न भरा तो पृथ्वीराज महाराज चौंके ! उनको समझते देर न लगी की यह घाव क्या है ! उन्होंने उनसे निवेदन किया, क्या आप 'अश्वत्थामा' हैं ?? क्यूंकि केवल उन्हीं को श्री कृष्ण का दिया श्राप है और उनके सिर पर से जब श्री कृष्ण ने मणि निकाल लिया था तब एक गहरा गड्ढा हो गया था, ऐसा महाभारत की कथा में स्पष्ट वर्णन है ! फिर उन्हें भी इस बात को मान लिया और महाराज पृथ्वीराज को तीन ऐसे शब्दभेदी तीर भी दिए, जो की अपने आप में अचूक और आश्चर्यजनक थे ! उन तीरों को चलने की और महाराज पृथ्वीराज के विजय की कहानी तो अपने आप में दूसरी कहानी है !

इतने ही नहीं कई लोगों ने और सैनिकों ने एक ऐसे व्यक्ति को नर्मदा नदी(गुजरात) के यहाँ वहां जाते हुए देखा है, जिसके सिर पे घाव था जिसमे से खून गिरता रहता और कई मक्खियाँ उसके ऊपर हमेशा मंडराती रहती थीं ! सप्त चिरंजीवी- अश्वत्थामा, बलि, व्यास, भगवन हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, भगवन परशुराम की कहानी पूर्णतः सही मालूम पड़ती है !



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