Total Pageviews

Wednesday, January 8, 2014

रोग निवारण का सबसे अचूक विधान... महामृत्युंजय साधना


शिवरात्री....

देवादिदेव महादेव का निर्गुण से सगुण होकर पृथ्वी पर अवतरित होने वाली रात्री को ही कहते हैं महाशिवरात्री. वह रात्री जब पृथ्वी पर शिव तत्त्व प्रबलतम होता है. इस रात अगर जागरण कर शिवार्चन करें तो निश्चित ही ‘औघड़ दानी’ अपने भक्त की कामना पूर्ण करते हैं. इस शुभ समय में रुद्राभिषेक करने का भी विशेष महत्व है, प्रत्येक कार्य की सिद्धि के लिए अलग-अलग पदार्थों से रुद्राभिषेक किया जाता है. और इसी रात्री की जाति है एक और अद्वितीय साधना....... जिसे की कहा गया है ... मृत संजीवनी साधना ......

मृत संजीवनी... यानि मृत जीवन को संजीवित कर देने की साधना. मृत्यु तो निश्चित रूप से एक दिन सबकी होनी है. जो इस जग में आया है उसे तो जाना ही है, किन्तु ये साधना असमय मृत्यु से बचाती है. स्वस्थ शारीर और स्वस्थ मन प्रदान करती है.. क्यूंकि जीवन रहते हुए भी यदि शारीर रोगी है, तब भी मृत्यु के सामान ही है. यदि मन में कोई चिंता है, तब भी मृत्यु ही है. यह मंत्र साधना करने से अकाल मृत्यु, रोग रूपी मृत्यु और अन्य चिंता रूपी मृत्यु से निश्चित मुक्ति प्रदान करते हैं महादेव.


रुतं हरती पापात् निवारयति स रुद्रः ||


रोगों को हरने वाले.. पापों का निवारण करने वाले ही शिव हैं. शिव भक्तों का “हर हर महादेव..” का जय घोष करने के पीछे भेद भी यही है कि रूद्र उनके पापों को, दुखों को, संताप को हर लें.
मृत्यु संजीवनी साधना ही महामृत्युंजय साधना है. मृत्युंजय मंत्र के विविध रूप है. आज कल तो मूल त्रयम्बक मंत्र को ही महामृत्युंजय मंत्र मान लिया जाता है जो की भ्रम है ! त्रयम्बक मंत्र मूल मृत्युंजय मन्त्रों में शामिल है, मगर मृत्युंजय मंत्र के भी मुख्य ३ भेद हैं....

१. यह प्रथम मृत्युंजय मंत्र है जो की साधारण रोगों को दूर रखता है, दुखों से तारता है. इसका नित्य जप अपनी पूजा में शामिल किया जा सकता है. इससे निश्चित आयु रक्षा होती है.

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् |उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||

२. रोगों को शांत करने के लिए.. जटिल से जटिल रोग के निवारण करने के लिए यह मंत्र अस्चार्यजनक परिणाम देता है. किसी रोगी व्यक्ति को अगर बहुत कष्ट हो रहा हो, तो वह इस मंत्र को करे.. या फिर किसी audio tape में बजाकर इसे सुने, उसे शांति प्राप्त होगी.

यदि किसी अति वृद्ध व्यक्ति के प्राण नहीं निकल रहे हों, जबकी उसकी उम्र भी जाने की हो गयी हो और अधिक कष्ट हो रहा हो वृधावस्था के कारण तो उस व्यक्ति के पास इस मंत्र को जपें ताकि इसकी ध्वनि वृद्ध व्यक्ति के कानों में पड़े. निश्चय ही उसे जीवन से और कष्ट से मुक्ति मिल जाएगी. ऐसा मैं इसलिए नहीं लिख रहा हूँ की कहीं पढ़ रखा है, या कहीं सुना है.. बल्कि मैंने इसको test भी किया था और आश्चर्यचकित हो गया था देखकर..

मेरी नानी की उम्र 96 हो गयी थी, वृद्ध और कमजोर शारीर के कारन अधिक कष्ट झेलना पढ़ रहा था. कितनी बार जाने की इच्छा करती की हे भगवन अब कहे नहीं उठा रहे हैं... कुछ हफ़्तों से तो शारीर के चलना फिरना भी बिलकुल बंद.. हाथ पैर भी नहीं हिल रहे थे. खैर, अंतिम दिन रात्री को मैंने इसी मंत्र की recording बजायी हुई थी करीब १-२ घंटे.. उससे पुरे घर में एक अलग ही वातावरण बन्ने लगा था. उसके बाद उनका शरीर शांत होने लगा था. दुसरे दिन ही बाबा बैद्यनाथ धाम में शिवजी को जल चढ़कर आया तब थोड़ी देर में ही उनके प्राण निकल गए. कोई ये न समझ ले की यह मंत्र मृत्यु देता है ! बल्कि यह कष्टों से मुक्ति देता है और जीवन ही देता है.. क्यूंकि असल में कष्ट ही तो असल मृत्यु है !

ॐ भुः ॐ भुवः ॐ स्वः त्र्यम्बकम् यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् |उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||ॐ स्वः ॐ भुवः ॐ भुः ॐ ||

३. वास्तविक मृतसंजीवनी/महामृत्युंजय मंत्र जिसका जप रोग निवारण और शोक निवारण हेतु किया जाता है वह इस प्रकार है-


ॐ हौं ॐ जूँ ॐ सः ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् ||ॐ स्वः ॐ भुवः ॐ भूः ॐ सः ॐ जूँ हौं ॐ ||


लघु मृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है -

ॐ जूँ सः पालय पालय ||

Kidney कि खराबी होने पे इस मंत्र को नित्य जपना चाहिए-


ॐ वं जूँ सः ||


इनमे से किसी भी मंत्र का नित्य १०८ बार जप करना जीवन में सभी रोग, ग्रह दोष, कष्टों को नष्ट करने के लिए कोई भी कर सकता है, उसके घर में अकाल मृत्यु नहीं होती रोगों से भी वह पूर्णतः निश्चिंत रहता है. इसे प्राणश्चेतनायुक्त रुद्राक्ष माला से ही जपना चाहिए.. या फिर बिना माला के भी जप सकते हैं, मगर किसी अन्य माला का उपयोग इस मंत्र के लिए न करें.
इस मंत्र के अनुष्ठान में निम्नलिखित सामग्रियों से हवन करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं- 



घी                 - आयु लाभ.
शेहद और घी        – मधुमेह रोग मुक्ति.
भांग, धतुरा या आक  – मनोरोग से निवृत्ति.
ढाक के पत्ते          – नेत्ररोग.
बेलपत्र या बेलफल    – ऊदर सम्बंधित रोग मुक्ति.
घी और दूब         – जटिल रोग निवृत्ति.


सर्वरोग मुक्ति के लिए बेलगिरी, आँवला, सरसों, तिल से हवन करना चाहिए. 

9 comments:

  1. Could you share a sadhna to increase height

    ReplyDelete
  2. Please share a sadhna to increase height

    ReplyDelete
  3. "मेरा चैलेंज है कोई इस प्रयोग को गलत सिद्ध करके दिखा दे ..." नामक शीर्षक में गुरुदेव ने एक ऐसा ही प्रयोग दिया था भाई,
    उसके लिए '84 लघु नारियल' की आवश्यकता होगी और ४० दिन का प्रयोग है.
    इसके अलावा एक तरेह का आसन अभ्यास भी है जो काफी कारगार सिद्ध हुआ है, कितनी भी उम्र में लाभ ले सकते हैं, जल्द ही दोनों प्रस्तुत करने का प्रयास करूँगा.

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thank you very much brother. I am eagerly waiting for the sadhna to increase height. you can also mail me at shrrutankur@gmail.com

      Delete
    2. Ye kon sa upay h btaiye mujhe jatil bimari h m bistar pr hu puri trh se

      Delete
  4. Bahut hi anmol jankari di bhai ji apne.......

    ReplyDelete
  5. सब बातें तो सही एवं सत्य है परंतु इसके टेप बजाना या इस मंत्र को किसी को सुनना उचित है

    ReplyDelete
  6. महामृत्युंजय मंत्र के जप व उपासना के तरीके बताने के लिए आपका शुक्रिया. जानिये महामृत्युंजय मंत्र का जाप व साधना विधान साथ ही नित्य शिव पूजा हेतु कुछ अन्य सरल, प्रभावशाली, चमत्कारी शिव मंत्र. देखें यह VIDEO या हमारे Youtube Channel को Subscribe करें - https://www.youtube.com/vaibhava1

    ReplyDelete
  7. Bahut sundar
    Satyam Shivam sundaram

    ReplyDelete