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Saturday, March 1, 2014

Alcohol Addiction Remedy, शराब छुड़ाने का टोटका.




जिन महिलायों के पति अधिक शराब का सेवन करते हैं तथा अपनी आय का अधिक हिस्सा शराब पर लुटातें हैंउनके लिए सबसे सरल उपाय यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है जिस दिन आपके पति शराब पीकर घर आयें और अपने जूते उतारें, आप उस जूते के वजन के बराबर आटा लेकर उसकी बिना तवे तथा चकले की मदद से रोटी बनाकर सकें | इस रोटी को आधा सकें, मतलब एक ही हिस्से से सकें, दूसरा हिस्सा कच्चा ही रहने दें और इसे अपने पति के सर से ७ बार उल्टा घुमा कर, किसी पूरे काले कुत्ते को खिला देंकुछ ही समय में वह शराब से घृणा करने लगेंगेयदि ऐसा लगभग २१ दिन किया जाये तो वो निश्चित ही शराब छोड़ देंगे|


शराब छुड़ाने का एक उपाए यह भी है की आप किसी भी रविवार को एक शराब की उस ब्रांड की बोतल मंगवा लायें जो ब्रांड आपके पति पीते हैंरविवार को उस बोतल को किसी भी भैरव मंदिर पर अर्पित करें तथा पुन: कुछ रूपए देकर मंदिर के पुजारी से वह बोतल वापिस घर ले आयेंजब आपके पति सो रहें हो अथवा शराब के नशे में चूर होकर मदहोश हों तो आप उस पूरी बोतल को अपने पति के ऊपर से उसारते हुए २१ बार “ॐ भं भैरवाय नमः” का जाप करेंउसारे के बाद उस बोतल को शाम को किसी भी पीपल के वृक्ष के नीचे छोड़ आयें| जब भी वो पीकर ए, ऐसा ही कर दें | कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक रूप से बदलाव देखने को मिलेगा |


शराब छुडवाने का एक यह भी उपाय है की आप एक शराब की बोतल किसी शनिवार को पति के सो जाने के बाद उन पर से २१ बार वार लेंउस बोतल के साथ किसी अन्य बोतल में आठ सो ग्राम सरसों का तेल लेकर आपस में मिला लें और किसी बहते हुए पानी के किनारे में उल्टा गाढ़ दें जिससे बोतलों के ऊपर से जल बहता रहे|


गुरूवार को केले पर हल्दी लगाकर गुरु के १०८ नामों के उच्चारण से भी पति की मनोवृति बदलती है|

केले के वृक्ष के साथ यदि पीपल के वृक्ष की भी सेवा कर सकें तो फल और भी जल्दी प्राप्त होता है|


गृह क्लेश दूर करने के लिए तथा आर्थिक लाभ के लिए गेँहू शनिवार को पिसवाना चाहिए|उसमे प्रति दस किलो गेँहू पर सो ग्राम काले चने डालने चाहिए|


Alcohol ill effects
Alcohol shrinks the brain

Saturday, January 25, 2014

सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं ‘दुर्गा सिद्धसम्पुट मंत्र’




दुर्गा सप्तशती मार्कण्डेय पुराण का वह भाग है जिसमें देवी का वर्णन है | यह अपने आप में इतना दिव्य और प्रभावपूर्ण भाग है कि जो बाद में स्वतंत्र रूप से ही जाना जाने लगा | दुर्गा सप्तशती का प्रत्येक श्लोक एक विशिष्ठ मंत्र ही है | उन्हीं में से कुछ चुने हुए मंत्र यहाँ दिए जा रहे हैं जो की साधक के सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में सक्षम है और इनका प्रभाव अचूक ही होता है | इसका लाभ दो प्रकार से लिया जा सकता है, दुर्गा सप्तशती के प्रत्येक श्लोक के साथ सम्पुट देकर, और दूसरा सीधे ही सम्बंधित मंत्र की नित्य पांच मालाएं फेर कर | नवरात्रों में इसका विशेष महत्व है, वैसे शाक्त तो प्रतिदिन इसे करते हैं | चण्डी पाठ में तो अगर थोड़ी सी भी भूल हो जाये तो पूरा पाठ ही विफल हो जाता है, परन्तु साधक इन मन्त्रों के माध्यम से अवश्य अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकते है अतः आप भी इसका लाभ उठाएं |


१). विश्व के कल्याण के लिए-


विश्वेश्वरी त्वं परिपासि विश्वं,
विश्वात्मिका धारयसीति विश्वः |
विश्वेशवन्द्या भवति भवन्ति
विश्वाश्रया ये त्वयि भाक्तिनम्राः ||

२). विपत्ति नाश के लिए- 


शरणागत दीनार्तपरित्राणपरायणि |
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ||


३). आरोग्य और सौभाग्य प्राप्ति के लिए-


देहि सौभाग्यमारोग्य देहि में परमं सुखम् |
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||


४). सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति के लिए-


पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारीणीम् | 
तारिणी दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम् || 


५). बाधा शांति के लिए- 


सर्वबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरी | 
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम् ||



६). दारिद्रय दुखादिनाश के लिए- 



दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः | 

सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि ||

दारिद्रयदुःखभय हारिणी का त्वदन्या |

सर्वोपकारकरणाय सदाऽर्द्रचिता ||

७). सर्व कल्याण के लिए -


सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ||


८). प्रसन्नता प्राप्ति के लिए -


प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वातिहारिणी |
त्रैलोक्यवासिनामिड्ये लोकानाम् वरदा भवः || 


९). बाधामुक्त होकर धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए -



सर्वावाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य सुतान्वितः |
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः || 


१०). भुक्ति-मुक्ति की प्राप्ति के लिए -



विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम् |
रूपं देहि जायं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||


११). स्वर्ग और मुक्ति के लिए -


सर्वस्य बुद्धिरुपेण जनस्य हृदि संस्थिते |
स्वर्गापवर्गदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ||

इन मन्त्रों का जप किसी भी महीने की दशमी तिथि या फिर चतुर्दशी से भी शुरू कर सकते हैं अथवा नवरात्री में करें. दिन में या रात्रि में कभी भी ५ माला नित्य या फिर पूर्ण सिद्धि के लिए सवा लाख का अनुष्ठान ९ दिनों में संपन्न करें, स्फटिक, मूंगा या रुद्राक्ष माला से. शत्रु मारण कार्य में सर्प-अस्थि माला का इस्तेमाल होता है | 

Monday, January 20, 2014

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि






कुन्नु भाई हीरा भाई मोड़ा गुजराती व्यक्ति हैं, जीवन के उत्तरार्ध में लगभग
पचास वर्ष की आयु में उन्होंने पहली बार जगदम्बा साधना की और
पहली बार में ही उन्होंने सफलता प्राप्त कर ली है, माँ जगदम्बा के द्वारा
दी हुई दिव्य माला इनके पास है और सूरत में इनके घर पर
सैंकड़ों हजारों साधू संतों ने भी इस माला के दर्शन किए हैं | आश्चर्य की बात
 तो यह है की माँ के द्वारा दी हुए इस माला पर नास्तिक से नास्तिक
व्यक्ति की भी नज़र पड़ती है तो वह भी एक भाव और
श्रद्धा से भर जाता है और तुरंत ही समाधि लग जाति है | सीधे- सादे
गुजराती साधक कुन्नु भाई का आत्मकथ्य उसी के ज़ुबान से..




मैं एक सीधा-सादा सरल गायत्री उपासक रहा हूँ, मेरा छोटा सा कारोबार है, गायत्री के प्रति मेरी अखण्ड आस्था रही है, और मैं ही नहीं अपितु मेरे घर की दोनों पुत्रियाँ, पुत्र और पत्नी भी गायत्री उपासक रहे हैं |
मैं नित्य 51 माला गायत्री मंत्र की फेरता, और इसके बाद ही अपनी दुकान पे जाता, परन्तु पिछले पांच वर्षों में मेरी आर्थिक स्थिति में कोई विशेष अंतर नहीं आया, यह अलग बात है की मैं भूखा नहीं मरा, परन्तु धीरे-धीरे व्यापार कमजोर पड़ने के कारण निरंतर कर्जा होता गया, फलस्वरूप कुछ व्यक्तियों ने मेरे ऊपर मुकदमे दायर कर दिए |  

इस प्रकार पिछले साल-डेढ़ साल से मैं बहुत अधिक परेशान था, लगभग चार-पांच मुकदमे लोगों ने ऊपर कर दिए थे, इसके अलावा मेरे चाचा ने भी मकान से बेदखल करने के लिए मुकदमा दायर कर दिया था, फलस्वरूप मुझे मकान छोड़कर किराए के मकान में रहना पड़ा | 

इस प्रकार मैं आर्थिक स्थिति से काफी कमजोर होता चला जा रहा था, कुछ तो व्यापार में घाटे से और कुछ मुकदमे में फसने के कारण मैं दिवालिया होने की स्थिति में आ गया था | इतना होने पर भी मेरी आस्था में कोई कमी नहीं आई थी, मैं उसी प्रकार से मंत्र जप करता रहा, परन्तु कभी-कभी मेरे मानस में एक दूसरा विचार भी आता की इतना मंत्र जप करने के बाद भी मुझे क्या मिला ? मेरी स्थिति में क्या सुधार हुआ ? कभी-कभी तो मैं पूजा घर में रो-रो कर माँ गायत्री के सामने अपनी व्यथा भी कहता, इससे कुछ क्षणों के लिए मेरा जी तो हल्का हो जाता, परन्तु मेरी स्थिति में कोई अंतर नहीं आया !



इन्ही दिनों राम भाई मुझे मिले और इन्होंने श्रीमाली जी के बारे में बताया, मैं राम भाईजी के साथ ही जोधपुर जाकर उनसे मिला, मझे वे सरल और सात्विक व्यक्ति नजर आये | मैंने उन्हें किसी भी प्रकार की दक्षिणा या भेंट आदि नहीं दी, फिर भी वे इतने ही सरल, निस्पृह और आत्मीय भाव से मुझे मिले इन सबका मेरे चित्त पर बहुत गहरा और अच्छा प्रभाव पड़ा |



मैंने उनके सामने सारी बात स्पष्ट कर दी कि मैं गायत्री माँ का उपासक हूँ, मेरी रूचि शक्ति-साधना में है, आप मुझे ऐसा मार्ग बताएं जो मेरे लिए उचित हो और जो साधना मैं कर सकूँ |



मैंने आगे बताया की इतना अधिक मैं गायत्री मंत्र जप चुका हूँ कि अब उसपर से मेरा विश्वास डोलने लगा है | मैंने अनुभव किया है की बिना किसी अन्य साधना के केवल गायत्री मंत्र के जप से आज के युग में जीवन में पूर्णता नहीं प्राप्त हो सकती |


उन्होंने मेरी बात को ध्यानपूर्वक सुना, उन्होंने गायत्री साधक के पक्ष में या विपक्ष में कुछ भी नहीं कहा इतना अवश्य कहा की जीवन में गायत्री मंत्र जप का भी महत्व है, परन्तु तुम्हारे शरीर की बनावट और शारीरिक पुंज इस प्रकार से है की तुम्हारे शरीर में शक्ति का विशेष महत्व है, प्रत्येक मनुष्य प्रत्येक साधना में सफलता नहीं प्राप्त कर सकता, हर एक मानव के शरीर की बनावट और मानसिक ऊर्जा का संवेग अलग अलग होता है अतः उसी के अनुरूप साधना का चयन करना चाहिए, किसी के लिए शिव साधना सभी दृष्टियों से अनुकूल है, तो किसी अन्य के लिए राम या दुर्गा साधना.. यह तो गुरु ही बता सकते हैं कि तुम्हारे शरीर की संरचना का निर्माण किस प्रकार से है, और उसे किस प्रकार की साधना संपन्न करनी चाहिए जिससे की वह कम समय में ही व्यापारिक तथा भौतिक दृष्टि से सफलता पा सके |



आगे उन्होंने बताया कि आपके शरीर को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, कि आपके प्राणों की ऊर्जा जगदम्बा साधना के अनुकूल है, आप भगवती जगदम्बा साधना करें इससे आप जल्द ही अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाकर, आर्थिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं |


मेरे आगे पूछने पर उन्होंने मुझे दुसरे दिन आने के लिए कहा, जब मैं दुसरे दिन उनके निवास स्थान पर पहुँचा तो बहुत अधिक भीढ़ थी, फिर भी कुछ समय बाद मझे उनसे मिलने का मौका मिल गया | मिलते ही उन्होंने मुझे जगदम्बा साधना की विधि समझाई और मंत्र जाप दिया और मुझे कहा कि आपको ज्यादा दिन यहाँ रुकने की जरुरत नहीं है, आप अपने निवास स्थान पर भी निष्ठा पूर्वक जिस प्रकार से मैंने आपको साधना बताई है, आप साधना कर सकते हैं, आपको भगवती जगदम्बा के साक्षात् दर्शन प्राप्त हो सकते हैं और आप अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं | 

मैं राम भाई के साथ घर आ गया और साधना की तैय्यारी करने लगा | उन्होंने बताया था की किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा यानि अमावस्या के दुसरे दिन से ये साधना शुरू की जा सकती है | मैं निश्चित दिन स्नान कर सफेद धोती धारण कर आसन पर बैठ गया, ऊपर एक सफ़ेद ही चादर ओढ़ ली थी | सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उसपर जगदम्बा का सिंघ्वाहिनी रूप का चित्र स्थापित कर दिया था | सामने दाईं ओर घी का दीपक प्रज्ज्वलित कर दिया था और बाईं ओर सुगन्धित धुप जला दी थी |

जोधपुर से आते समय मैंने उनसे गुरु मंत्र लेकर शिष्य बन गया था, अतः दाईं ओर उनका चित्र स्थापित कर दिया था और उनके सामने ही अगरबत्ती और एक दीपक जला दिया था | मुझे बताया गया था की मूँगे की माला से या स्फटिक की माला से ये मंत्र जाप किया जाए, तो निश्चय ही कार्य में सफलता प्राप्त होती है | 

रात्री को 9 बजे से मैं आसन पर बैठ गया था | मेरा मुख पूर्व की ओर था, सामने भव्य जगदम्बा का चित्र था, दाईं ओर मैंने गुरुदेव का चित्र स्थापित कर दिया था, और बाईं ओर मैंने कार्य सिद्धि के लिए गणपति को स्थापित कर दिया था | 

इसके अलावा शुद्ध जल का लोटा, पुष्प, केसर एवं भोग भी मैंने रख दिया था | सबसे पहले निम्न मंत्र से भगवती का पूजन किया और उनको भोग लगाकर फूलों का हार पहनाया -

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||

इसके बाद दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प लिया कि मैं, (अमुक) गोत्र, (अमुक) पिता का पुत्र, आपको प्रसन्न करके आपके प्रत्यक्ष दर्शन की कामना हेतु यह प्रयोग प्रारंभ कर रहा हूँ | 

इसके बाद मैंने गुरुदेव के बताये अनुसार संसार प्रसिद्ध ‘नवार्ण मंत्र’ की एक माला फेरी-

|| ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे || 
|| AING HREENG KLEENG CHAMUNDAYEI VICCHE ||

इसके बाद मैंने गुरुदेव के बताये हुए इस मंत्र की 101 मालाएं संपन्न की -


|| ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः ||

|| OM HREENG DUNG DURGAYEI NAMAH ||



जब सारी मालाएं फेरनी हो गयी तब उसी जगह में निचे जमीं पर ही बिस्तर बिछाकर सो गया | इस साधना में भूमि शयन करना चाहिए, एक समय सात्विक भोजन ही करना चाहिए और पूर्ण ब्रह्मचर्य रखना चाहिए | कुल पांच लाख जपने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है | 


मैं नियमपूर्वक इस प्रयोग को संपन्न करता रहा, प्रत्येक दिन मंत्र जाप के बाद एक अपूर्व आनंद की अनुभूति होती रही | मुझे विश्वास था की मैं अपने उद्देश्य में अवश्य सफल हो जाऊंगा | 

पांचवे रोज जब मैं रात्री को ३ बजे मंत्र जप समाप्त करके सोया, तब स्वप्न में स्पष्ट रूप से मझे सिंह के दर्शन हुए ! विशाल और सौम्य सिंह .. उसके गर्दन के बाल दोनों तरफ झूल रहे थे.. ऐसा लगा मानों माँ का दूत आया हो !

स्वप्न में ऐसा लगा, जैसे मैं साधना कर रहा हूँ, और सामने शेर आया है.. और मनुष्य की आवाज में कह रहा है, कि तुम सही रास्ते पर चल रहे हो, परन्तु जब तक साधना पूरी नहीं हो जाये, तब तक दूकान पर न जाओ | क्यूंकि व्यापारिक कार्यों में चाहते, न चाहते हुए भी असत्य बोलना पड़ जाता है, और उससे ‘जिव्हा दोष’ लगता है इसलिए कल से दुकान पर नहीं जाओगे और भूल करके भी साधना समाप्ति से पहले असत्य नहीं बोलोगे | ऐसा कहकर शेर अपनी पूंछ का झपट्टा देकर मुड़ गया और मेरी आँख एकदम से खुल गयी ! मझे वह दृश्य और अपने शरीर पर उसका झपट्टा बराबर महसूस हो रहा था, मैंने अनुभव किया की वास्तव में ही मुझे सही अनुभव हुआ है और मैंने अगले दिन से ही घर से बाहर जाना कम कर दिया, कम लोगों से ही मिलता ताकि अनजाने में भी मुँह से असत्य उच्चारण न हो जाये |

मैंने जोदोध्पुर टेलीफोन लगाया तो एक घंटे बाद टेलीफोन लगा, पर व्यावधान होने की वजेह से पूरी बात नहीं हो पाई, पर ज्यों ही टेलीफोन लगा, त्यों ही गुरुदेव ने कहा तुम्हें कल रात के स्वप्न में जगदम्बा के वाहन सिंह ने जो मार्गदर्शन किया है, उसी प्रकार से साधना करते रहो, तुम सही रास्ते पर चल रहे हो... और इसके आगे के शब्द न तो मैं व्यवधान के कारण सुन सका और न तो अपनी बात ही कह सका, परन्तु मैं आश्चर्य कर रहा था की मेरे बिना कुछ कहे ही गुरूजी को मेरे स्वप्न के बारे में कैसे ज्ञान हो गया !


मैं पुलकित था की मुझे जगदम्बा के गण के दर्शन हुए हैं, और टेलीफ़ोन पर भी गुरूजी की ध्वनि सुनने को मिली है, मैं उसी उत्साह से साधना में लगा रहा |

इस प्रकार 10 दिन बीत गए, 11वें रोज रात्रि में मैं मंत्र जाप कर रहा था, अनवरत रूप से मेरी माला चल रही थी, लगभग दो बजे अचानक ऐसा लगा जैसे की मेरी छाती पर जोरों का धक्का लगा हो, मेरी माला गिरते गिरते बची, पूरा कमरा एक दूधिया प्रकाश से भर गया | मैं एक क्षण के लिए तो अकचका गया, की यह क्या हो गया है, मेरी आँखें पूरी तरेह से खुल नहीं पा रही थी, पर जब एक दो क्षण बाद मेरी आंखें खुली तो मेरे सामने सिंह पर बैठी हुई माँ जगदम्बा साक्षात् सौम्य रूप में उपस्थित थी, भगवती का कान्तियुक्त चेहरा मंद मंद मुस्कुरा रहा था, शेर अपलक नज़रों से मेरी ओर ताक रहा था, और पुरे कमरे में एक विशेष प्रकार की सुगंध व्याप्त हो गयी थी |



यह दृश्य लगभग २-३ मिनट तक रहा, मेरा गला भर आया, मुँह से प्रयत्न करने पर भी कुछ शब्द नहीं निकल पा रहे थे, फिर भी मेरे मंह से बस इतना ही निकला - 


रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि..”, और इतना बोलते ही माँ के हाथ में जो माला थी उन्होंने मेरी ओर फेंक दी, और दुसरे ही क्षण वह दृश्य अंतर्ध्यान हो गया |

जब ध्यान आया तो मैंने अपने शरीर को देखा, दाहिने हाथ में माला उसी प्रकार से फिर रही थी, सामने जग्दमं का चित्र विद्यमान था, मेरी आँखों से अश्रु धार बह रहे थे और रों-रों पुलकित हो रहा था.. परन्तु माँ की दी हुई वह माला मेरी गोदी में ही राखी हुई थी जो कि घटित घटना की साक्षी थी, मंत्र जप थोडा सा ही बांकी था, मैंने पूरा किया और माँ के सामने साष्टांग दण्डवत् लेट गया, सारा शरीर थरथरा रहा था.. सारा शरीर थरथरा रहा था.. आँखों में प्रसन्नता के आंसू छलछला रहे थे.. गला भर गया था, ह्रदय गदगद हो रहा था, और आँखें माँ के चरणों में टिकी हुई थी...



कितनी देर मैं इसी स्थिति में वहां रहा कुछ पता नहीं, वे मेरे जीवन के अद्वितीय क्षण थे, इसके बाद मैंने वह दिव्य माला माँ के चित्र को पहना दी |



इस समय प्रातः के लगभग पांच बज गये थे, मैंने अपने परिवार में सबको जगाया, प्रसन्नता के मारे मेरे पाँव जमीन पर टिक नहीं रहे थे, जल्दी जल्दी परिवार के सभी लोग स्नान आदि कर पूजा कक्ष में आए तो महसूस किया की वह कमरा एक विशेष गंध से आपूरित है दिव्य माला को देखकर सभी भाव विभोर हो गये |



इस घटना को लगभग ३ महीने बीत गए हैं, और लगभग एक हजार से भी ज्यादा अधिक मेरे परिचित जन ने उस दिव्य माला के दर्शन किये हैं, वे निश्चय नहीं कर पा रहे हैं की यह किस धातु की बनी हुई है.. और ये फूल किस प्रकार के हैं ! ३ महीने होने पर भी ये मुरझाये नहीं हैं ! देश के उछोती के साधू संतों ने भी इसके दर्शन किये हैं उन्होंने कहा है की उसे देखकर एक अपूर्व शांति का अनुभव होता है |



आश्चर्य की बात यह भी है की जिस रात्री को मुझे माँ जगदम्बा के दर्शन हुए, दुसरे दिन प्रातः काल ही गुरूजी का सन्देश मिल गया था, जिसमे लिखा है- 

साधना में सफलता एवं जगदम्बा दर्शन हेतु आशीर्वाद 


कहना न होगा, इन ३ महीनों में मेरा व्यापार काफी बढ़ा है.., और आश्चर्य की बात तो यह है की मेरे सभी मुक़दमे सामने वाली पार्टी ने स्वतः ही हटा लिए हैं | 

वास्तव में मैं अपने जीवन को धन्य समझने लगा की गुरु कृपा से मुझे जगदम्बा के साक्षात् दर्शन हुए, मेरा रोम-रोम उनके प्रति नमन है |

- Kunnu Bhai Hari Bhai. 

Sunday, December 8, 2013

धन प्राप्ती का अचूक विधान - Wealth Giver TaraSadhana



This Sadhana was published in ‘Dhanvarshini Tara’ book of Sadgurudev. It can give guaranteed financial fulfilment, if tried done in the right way. I can say that because I have myself tried it, and I can say without doubt that this ritual of Mavavidya Tara gives astonishing and quick results. I had done this before the holy shrine Tara on the Jyotirling Temple at Deoghar, Jharkhand. The special thing about this place is that in Deoghar, both Jyotirling as well as Shaktipith is situated at a single place. After completing this many of my stopped work completed which were earlier facing obstacles. I got offers for Job... four of my government paper works got cleared at once.. I opened a bank account, bought laptop, phone etc. etc. 
You can try this Mantra at any holy place, temple, or any lonely room.



Any Friday In front of you place a wooden seat put pink clothes and on it. Then make 3 hills of rice coloured in pink color. On each rice heap put 1 loung(clove) each. Then take Mantra-energised TARA MAHA YANTRA and black Hakeek/Rudraksh rosary and place it on the wooden seat. You should wear Pink robes, after taking bath and sit on pink worship mat, facing towards North.

Start this sadhana sharp at 10 pm.



The Tara Maha Yantra should be washed by saying



snaanam samarpyami Namah..


Then wash it by your dhoti and put it over Rose petals, after the rice heaps. If you have picture of Her then place that also. Light Ghee oil lamps on the left side and some Incense(dhoop) on the right side of the wooden seat before you.

PAVITRIKARAN- Take water on left palm, cover it from right hand and speak this Mantra to make your outer body purification.

Om Apavitrah Pavitro Vaa Sarvaavasthaam Gato Aapi Vaa
Yah Smaret Pundari Kaaksham Sah Bahyabhyantarah Shuchih.


Then put that water all over you with the Right hand.

AACHMAN- Take water each time in hand and speak the mantra then drink it



Om Hreeng Treeng Hum Phat UgraTarayei Namah
Hreeng Treeng Hum Phat Ekjataayei Namah
Hreeng Treeng Hum Neel Saraswatyei Namah

Then wash hands with water.

SHIKHA BANDHAN- Put Right hand on Sahasrar.

Om Mannidhari Vajrinni Shikharinni Sarv VashamKarinni Kam Hum Phat Swaha.

Wind you hair on the the Sahasrar(Choti pe gaanth lagayiye agar choti rakhi hai to).

AASAN PUJAN-  Raise the right side of your aasan(worship mat) a little bit and with the Kumkum draw a circle on the ground. Put some flowers, Rice on it and worship it by saying the below mantra-



Om Pavitra Vajra Bhume Hum Phat Swaha


VIGHN UTSAARAN- Throw rice on all the 10 directions and speak the mantras so that all the obstacles are stopped.



Om Raksh Raksh Hum Phat Swaha



Then touch the following parts of your body with the thumb and Ring finger joined together. Speak the Mantra and touch the indicated part.



Om Vaerochanaaye Namah                         Touch Mouth

Om Shankhaay Namah                      -             Right Nose
Om Paandavaay Namah                    -             Left Nose

Om PadmNaabhaay Namah            -             Right Eye
Om Amitaabhaay Namah                 -              Left Eye
Om Naamkaay Namah                       -             Right Ear
Om Bhaamkaay Namah                     -             Left Ear
Om Taavkaay Namah                         -              Neck
Om Padmaantkaay Namah              -              Heart
Om Yamaantkaay Namah                -              Head
Om Vighnaantkaay Namah              -             Right shoulder
Om Naraantkaay Namah                  -              Left Shoulder

DHYAN- Join the palms and pray to Goddess Tara by chanting the following Mantra-


PratyAlidh PadArpitAnghrishvaHrid GhorattahAsA ParA,

KhadgendIvarkartrim KharparBhujA HUngkAr BijodbhawAh |
KharvAnIl VishAlpingal JatA JUteiknAgeiryutAh,
JAndyam Nyasya KapAlike TrijagatAm HantyugratarAswayam ||




VINIYOG- Take water on right palm and chant thus-


Asya Shrii Tara Mantrasya ‘Akshobhya’ Rishih, ‘Brihati’ Chhandah, ‘Tara’ Devta, ‘Hreeng’ Bijam, ‘Hung’ Shaktih, ‘Streeng’ Kilakam, Mamaabhist Siddhaye Jape Viniyogah.


TARA MAHAVIDYA MANTRA-


                || ह्रीं स्त्रीं हुं फट् || 


    || Hreeng Streeng Hum Phat || 

You have to just chant 21 rounds of rosary of this mantra continously for 11 days.


If anyone wants complete siddhi then he should do 101 mala daily for 21 days then he will be free from financial problems for life long.

This is also called the Panchakshari Mantra of Goddess Tara, it gives Vaak siddhi(ability to give Shraap or Vardaan) when chanted for 1 lakh times and the person is able to speak fluently on any topic whenever he wants. This Mantra also gives freedom from enemies and any kind of obstacle arising in life. One should make this Mantra  a daily part of his life.

Main vahi Mantra ya sadhana dene ki koshish karta hun jo meri khud ki tested hai, nahi to liikhne wale to duniya me hazaro lakhon hain, use log padhker bhul jate hain. Aap yah sadhana karein aur khud anubhav karein ki kitna change apki life me aya, kyunki shashtron me kaha hai.. 

Mantrey Tirthey Deve Devagyei Bheshaje Guruh..
Ja jashi Bhawana yasya, TaDrishi falitam yatha..

Mantra, Holy Place, Gods, Medicine, Guru will only show its effect if you have full faith, so do this ritual with full faith.



Tuesday, November 26, 2013

हनुमान साधना Experience -II



Some years ago, we had a trouble regarding our property which is on my Maa’s name. She continuously recites Sundar Kand Path, Bajrang Baan, Hanuman Kavach etc. in Navratras and sometimes on Tuesday.
This time she was doing Mangalwar for 3 consecutive weeks, by taking no salt on that day. That night she had a devine dream which she said she will always remember.
In the dream, she was taking care of  a vase which had a small cactus (a thorny plant). She was just putting her hand to it seeing if it was good or not, when suddenly that cactus plant moved. And it started growing,, it had becum big. Next moment some more branches grew from that Cactus so she removed her hand, then again it grew so she ran away from it.
She came very far to the outside of house,, but then the cactus had taken the form of a Khadag made of steel and was catching her from the back. .. it was approaching her from such a long distance.... she could not look back from fear.
Then it happened which shocked her, there appeared Bajrang Bali  all of a sudden. He was very powerful and mighty. With one grab he forcefully caught hold of her hair and made her sit on his thigh and saving her,, He put forward his right hand and said her to put the following things on His palm,

Chana !”                                         - put some Grains on my palm.

Gud !”                                            - Jaggery.

Tel !”                                              - Chameli teil(oil).

Sindoor ”                                        - Vermillion.

Paisa dogi ..?? wo bhi do..”             - means do you want to donate money also,  then put on my hand.

She put all those things. also a 1 rupee coin on His hand, then she got awake suddenly filled completely with fear, amazement and relief.... As understood, many of our problems also started solving after that.
Hanuman ji by face he was similar to any other monkey, but was not one of them... He was very devine and decent.. He was much bigger in size and had nicely built body. Was wearing Laal Langot when the second time she noticed Him, earlier it was not there. He had long hair which was nicely combed and he really looked devine. My Maa told she was very frightened when He caught hold of her hair and asked him for those things, but he only saved her life. Slowly we also started getting solutions to many of our other problems also. We believe Lord Hanuman came as a life saver in the dream to indicate us that these all things are to be donated in the sadhana, and he saved us from many bad happenings which was to come. that is also the reason why the world calls Him Sankatmochan Hanuman.

Hanuman is a Lord whose sadhana gets immediate results and even in this Kaliyug we can get good results by doing his Mantra jap. Tulsidas, who was born only few centuries ago was a great devotee of Him, and he has given us a lot by writing very powerful shlokas related to Hanuman like Bajrang Baan, Hanuman Chalisa. But it is also true that there are certin rules to be followed which are given below. Just speak out your problem to Him after your prayer and sure you will see favourable results by the end of your sadhana. For gaining confidence, to get rid of fear, to get rid of Bhoot-Pret-Pisaach, any kind of problem in life, to get healthy strenghty body Hanuman sadhana is the best. So here is a Bajrang Baan prayog which anybody can try and it is siddh prayog. You only have to read this BAJRAANG BAAN 21 times, at night or before Sunrise(in Brahm muhurt), starting from any Tuesday and do this for 5 consecutive Tuesdays. You should speak out your wish before starting the sadhana in the first day by putting some water in your palm, speaking out your name and Gotra, and your wiash. Then you should read this 21 times and offer those things mentioned above and after that put all that things in any Hanuman Mandir, eat the grains yourself.

1. All the sadhana materials should be very pure, which is used while sadhana, and the dipak etc should be colored in red by Kumkum. The color of dhoti and aasan should also be RED.
2. Sindur(Vermillion) immersed in Til oil should be put on his legs. Also a red chola is offered to Him.
3. Red flowers is offered on his legs.
4. You should look at him without blinking eyes(Tratak) and chant the Hanuman Mantra for full success.
5. Maintain celibacy/ Brahmacharya is very very essential in the sadhana days.












Same Bajrang Baan if you can not read it in Hindi then it is given below in 
English version, you have to read it 21 times at a time, and do it for 5 continous Tuesdays.
One more thing is to be noted that there is no such thing that women can not do Hanuman sadhana, just an exception that women should not continue days during MC period, however after that they may continue the same sadhana till the end. Women can pray Him as their brother.