Total Pageviews

Monday, January 20, 2014

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि






कुन्नु भाई हीरा भाई मोड़ा गुजराती व्यक्ति हैं, जीवन के उत्तरार्ध में लगभग
पचास वर्ष की आयु में उन्होंने पहली बार जगदम्बा साधना की और
पहली बार में ही उन्होंने सफलता प्राप्त कर ली है, माँ जगदम्बा के द्वारा
दी हुई दिव्य माला इनके पास है और सूरत में इनके घर पर
सैंकड़ों हजारों साधू संतों ने भी इस माला के दर्शन किए हैं | आश्चर्य की बात
 तो यह है की माँ के द्वारा दी हुए इस माला पर नास्तिक से नास्तिक
व्यक्ति की भी नज़र पड़ती है तो वह भी एक भाव और
श्रद्धा से भर जाता है और तुरंत ही समाधि लग जाति है | सीधे- सादे
गुजराती साधक कुन्नु भाई का आत्मकथ्य उसी के ज़ुबान से..




मैं एक सीधा-सादा सरल गायत्री उपासक रहा हूँ, मेरा छोटा सा कारोबार है, गायत्री के प्रति मेरी अखण्ड आस्था रही है, और मैं ही नहीं अपितु मेरे घर की दोनों पुत्रियाँ, पुत्र और पत्नी भी गायत्री उपासक रहे हैं |
मैं नित्य 51 माला गायत्री मंत्र की फेरता, और इसके बाद ही अपनी दुकान पे जाता, परन्तु पिछले पांच वर्षों में मेरी आर्थिक स्थिति में कोई विशेष अंतर नहीं आया, यह अलग बात है की मैं भूखा नहीं मरा, परन्तु धीरे-धीरे व्यापार कमजोर पड़ने के कारण निरंतर कर्जा होता गया, फलस्वरूप कुछ व्यक्तियों ने मेरे ऊपर मुकदमे दायर कर दिए |  

इस प्रकार पिछले साल-डेढ़ साल से मैं बहुत अधिक परेशान था, लगभग चार-पांच मुकदमे लोगों ने ऊपर कर दिए थे, इसके अलावा मेरे चाचा ने भी मकान से बेदखल करने के लिए मुकदमा दायर कर दिया था, फलस्वरूप मुझे मकान छोड़कर किराए के मकान में रहना पड़ा | 

इस प्रकार मैं आर्थिक स्थिति से काफी कमजोर होता चला जा रहा था, कुछ तो व्यापार में घाटे से और कुछ मुकदमे में फसने के कारण मैं दिवालिया होने की स्थिति में आ गया था | इतना होने पर भी मेरी आस्था में कोई कमी नहीं आई थी, मैं उसी प्रकार से मंत्र जप करता रहा, परन्तु कभी-कभी मेरे मानस में एक दूसरा विचार भी आता की इतना मंत्र जप करने के बाद भी मुझे क्या मिला ? मेरी स्थिति में क्या सुधार हुआ ? कभी-कभी तो मैं पूजा घर में रो-रो कर माँ गायत्री के सामने अपनी व्यथा भी कहता, इससे कुछ क्षणों के लिए मेरा जी तो हल्का हो जाता, परन्तु मेरी स्थिति में कोई अंतर नहीं आया !



इन्ही दिनों राम भाई मुझे मिले और इन्होंने श्रीमाली जी के बारे में बताया, मैं राम भाईजी के साथ ही जोधपुर जाकर उनसे मिला, मझे वे सरल और सात्विक व्यक्ति नजर आये | मैंने उन्हें किसी भी प्रकार की दक्षिणा या भेंट आदि नहीं दी, फिर भी वे इतने ही सरल, निस्पृह और आत्मीय भाव से मुझे मिले इन सबका मेरे चित्त पर बहुत गहरा और अच्छा प्रभाव पड़ा |



मैंने उनके सामने सारी बात स्पष्ट कर दी कि मैं गायत्री माँ का उपासक हूँ, मेरी रूचि शक्ति-साधना में है, आप मुझे ऐसा मार्ग बताएं जो मेरे लिए उचित हो और जो साधना मैं कर सकूँ |



मैंने आगे बताया की इतना अधिक मैं गायत्री मंत्र जप चुका हूँ कि अब उसपर से मेरा विश्वास डोलने लगा है | मैंने अनुभव किया है की बिना किसी अन्य साधना के केवल गायत्री मंत्र के जप से आज के युग में जीवन में पूर्णता नहीं प्राप्त हो सकती |


उन्होंने मेरी बात को ध्यानपूर्वक सुना, उन्होंने गायत्री साधक के पक्ष में या विपक्ष में कुछ भी नहीं कहा इतना अवश्य कहा की जीवन में गायत्री मंत्र जप का भी महत्व है, परन्तु तुम्हारे शरीर की बनावट और शारीरिक पुंज इस प्रकार से है की तुम्हारे शरीर में शक्ति का विशेष महत्व है, प्रत्येक मनुष्य प्रत्येक साधना में सफलता नहीं प्राप्त कर सकता, हर एक मानव के शरीर की बनावट और मानसिक ऊर्जा का संवेग अलग अलग होता है अतः उसी के अनुरूप साधना का चयन करना चाहिए, किसी के लिए शिव साधना सभी दृष्टियों से अनुकूल है, तो किसी अन्य के लिए राम या दुर्गा साधना.. यह तो गुरु ही बता सकते हैं कि तुम्हारे शरीर की संरचना का निर्माण किस प्रकार से है, और उसे किस प्रकार की साधना संपन्न करनी चाहिए जिससे की वह कम समय में ही व्यापारिक तथा भौतिक दृष्टि से सफलता पा सके |



आगे उन्होंने बताया कि आपके शरीर को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, कि आपके प्राणों की ऊर्जा जगदम्बा साधना के अनुकूल है, आप भगवती जगदम्बा साधना करें इससे आप जल्द ही अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाकर, आर्थिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं |


मेरे आगे पूछने पर उन्होंने मुझे दुसरे दिन आने के लिए कहा, जब मैं दुसरे दिन उनके निवास स्थान पर पहुँचा तो बहुत अधिक भीढ़ थी, फिर भी कुछ समय बाद मझे उनसे मिलने का मौका मिल गया | मिलते ही उन्होंने मुझे जगदम्बा साधना की विधि समझाई और मंत्र जाप दिया और मुझे कहा कि आपको ज्यादा दिन यहाँ रुकने की जरुरत नहीं है, आप अपने निवास स्थान पर भी निष्ठा पूर्वक जिस प्रकार से मैंने आपको साधना बताई है, आप साधना कर सकते हैं, आपको भगवती जगदम्बा के साक्षात् दर्शन प्राप्त हो सकते हैं और आप अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं | 

मैं राम भाई के साथ घर आ गया और साधना की तैय्यारी करने लगा | उन्होंने बताया था की किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा यानि अमावस्या के दुसरे दिन से ये साधना शुरू की जा सकती है | मैं निश्चित दिन स्नान कर सफेद धोती धारण कर आसन पर बैठ गया, ऊपर एक सफ़ेद ही चादर ओढ़ ली थी | सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उसपर जगदम्बा का सिंघ्वाहिनी रूप का चित्र स्थापित कर दिया था | सामने दाईं ओर घी का दीपक प्रज्ज्वलित कर दिया था और बाईं ओर सुगन्धित धुप जला दी थी |

जोधपुर से आते समय मैंने उनसे गुरु मंत्र लेकर शिष्य बन गया था, अतः दाईं ओर उनका चित्र स्थापित कर दिया था और उनके सामने ही अगरबत्ती और एक दीपक जला दिया था | मुझे बताया गया था की मूँगे की माला से या स्फटिक की माला से ये मंत्र जाप किया जाए, तो निश्चय ही कार्य में सफलता प्राप्त होती है | 

रात्री को 9 बजे से मैं आसन पर बैठ गया था | मेरा मुख पूर्व की ओर था, सामने भव्य जगदम्बा का चित्र था, दाईं ओर मैंने गुरुदेव का चित्र स्थापित कर दिया था, और बाईं ओर मैंने कार्य सिद्धि के लिए गणपति को स्थापित कर दिया था | 

इसके अलावा शुद्ध जल का लोटा, पुष्प, केसर एवं भोग भी मैंने रख दिया था | सबसे पहले निम्न मंत्र से भगवती का पूजन किया और उनको भोग लगाकर फूलों का हार पहनाया -

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||

इसके बाद दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प लिया कि मैं, (अमुक) गोत्र, (अमुक) पिता का पुत्र, आपको प्रसन्न करके आपके प्रत्यक्ष दर्शन की कामना हेतु यह प्रयोग प्रारंभ कर रहा हूँ | 

इसके बाद मैंने गुरुदेव के बताये अनुसार संसार प्रसिद्ध ‘नवार्ण मंत्र’ की एक माला फेरी-

|| ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे || 
|| AING HREENG KLEENG CHAMUNDAYEI VICCHE ||

इसके बाद मैंने गुरुदेव के बताये हुए इस मंत्र की 101 मालाएं संपन्न की -


|| ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः ||

|| OM HREENG DUNG DURGAYEI NAMAH ||



जब सारी मालाएं फेरनी हो गयी तब उसी जगह में निचे जमीं पर ही बिस्तर बिछाकर सो गया | इस साधना में भूमि शयन करना चाहिए, एक समय सात्विक भोजन ही करना चाहिए और पूर्ण ब्रह्मचर्य रखना चाहिए | कुल पांच लाख जपने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है | 


मैं नियमपूर्वक इस प्रयोग को संपन्न करता रहा, प्रत्येक दिन मंत्र जाप के बाद एक अपूर्व आनंद की अनुभूति होती रही | मुझे विश्वास था की मैं अपने उद्देश्य में अवश्य सफल हो जाऊंगा | 

पांचवे रोज जब मैं रात्री को ३ बजे मंत्र जप समाप्त करके सोया, तब स्वप्न में स्पष्ट रूप से मझे सिंह के दर्शन हुए ! विशाल और सौम्य सिंह .. उसके गर्दन के बाल दोनों तरफ झूल रहे थे.. ऐसा लगा मानों माँ का दूत आया हो !

स्वप्न में ऐसा लगा, जैसे मैं साधना कर रहा हूँ, और सामने शेर आया है.. और मनुष्य की आवाज में कह रहा है, कि तुम सही रास्ते पर चल रहे हो, परन्तु जब तक साधना पूरी नहीं हो जाये, तब तक दूकान पर न जाओ | क्यूंकि व्यापारिक कार्यों में चाहते, न चाहते हुए भी असत्य बोलना पड़ जाता है, और उससे ‘जिव्हा दोष’ लगता है इसलिए कल से दुकान पर नहीं जाओगे और भूल करके भी साधना समाप्ति से पहले असत्य नहीं बोलोगे | ऐसा कहकर शेर अपनी पूंछ का झपट्टा देकर मुड़ गया और मेरी आँख एकदम से खुल गयी ! मझे वह दृश्य और अपने शरीर पर उसका झपट्टा बराबर महसूस हो रहा था, मैंने अनुभव किया की वास्तव में ही मुझे सही अनुभव हुआ है और मैंने अगले दिन से ही घर से बाहर जाना कम कर दिया, कम लोगों से ही मिलता ताकि अनजाने में भी मुँह से असत्य उच्चारण न हो जाये |

मैंने जोदोध्पुर टेलीफोन लगाया तो एक घंटे बाद टेलीफोन लगा, पर व्यावधान होने की वजेह से पूरी बात नहीं हो पाई, पर ज्यों ही टेलीफोन लगा, त्यों ही गुरुदेव ने कहा तुम्हें कल रात के स्वप्न में जगदम्बा के वाहन सिंह ने जो मार्गदर्शन किया है, उसी प्रकार से साधना करते रहो, तुम सही रास्ते पर चल रहे हो... और इसके आगे के शब्द न तो मैं व्यवधान के कारण सुन सका और न तो अपनी बात ही कह सका, परन्तु मैं आश्चर्य कर रहा था की मेरे बिना कुछ कहे ही गुरूजी को मेरे स्वप्न के बारे में कैसे ज्ञान हो गया !


मैं पुलकित था की मुझे जगदम्बा के गण के दर्शन हुए हैं, और टेलीफ़ोन पर भी गुरूजी की ध्वनि सुनने को मिली है, मैं उसी उत्साह से साधना में लगा रहा |

इस प्रकार 10 दिन बीत गए, 11वें रोज रात्रि में मैं मंत्र जाप कर रहा था, अनवरत रूप से मेरी माला चल रही थी, लगभग दो बजे अचानक ऐसा लगा जैसे की मेरी छाती पर जोरों का धक्का लगा हो, मेरी माला गिरते गिरते बची, पूरा कमरा एक दूधिया प्रकाश से भर गया | मैं एक क्षण के लिए तो अकचका गया, की यह क्या हो गया है, मेरी आँखें पूरी तरेह से खुल नहीं पा रही थी, पर जब एक दो क्षण बाद मेरी आंखें खुली तो मेरे सामने सिंह पर बैठी हुई माँ जगदम्बा साक्षात् सौम्य रूप में उपस्थित थी, भगवती का कान्तियुक्त चेहरा मंद मंद मुस्कुरा रहा था, शेर अपलक नज़रों से मेरी ओर ताक रहा था, और पुरे कमरे में एक विशेष प्रकार की सुगंध व्याप्त हो गयी थी |



यह दृश्य लगभग २-३ मिनट तक रहा, मेरा गला भर आया, मुँह से प्रयत्न करने पर भी कुछ शब्द नहीं निकल पा रहे थे, फिर भी मेरे मंह से बस इतना ही निकला - 


रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि..”, और इतना बोलते ही माँ के हाथ में जो माला थी उन्होंने मेरी ओर फेंक दी, और दुसरे ही क्षण वह दृश्य अंतर्ध्यान हो गया |

जब ध्यान आया तो मैंने अपने शरीर को देखा, दाहिने हाथ में माला उसी प्रकार से फिर रही थी, सामने जग्दमं का चित्र विद्यमान था, मेरी आँखों से अश्रु धार बह रहे थे और रों-रों पुलकित हो रहा था.. परन्तु माँ की दी हुई वह माला मेरी गोदी में ही राखी हुई थी जो कि घटित घटना की साक्षी थी, मंत्र जप थोडा सा ही बांकी था, मैंने पूरा किया और माँ के सामने साष्टांग दण्डवत् लेट गया, सारा शरीर थरथरा रहा था.. सारा शरीर थरथरा रहा था.. आँखों में प्रसन्नता के आंसू छलछला रहे थे.. गला भर गया था, ह्रदय गदगद हो रहा था, और आँखें माँ के चरणों में टिकी हुई थी...



कितनी देर मैं इसी स्थिति में वहां रहा कुछ पता नहीं, वे मेरे जीवन के अद्वितीय क्षण थे, इसके बाद मैंने वह दिव्य माला माँ के चित्र को पहना दी |



इस समय प्रातः के लगभग पांच बज गये थे, मैंने अपने परिवार में सबको जगाया, प्रसन्नता के मारे मेरे पाँव जमीन पर टिक नहीं रहे थे, जल्दी जल्दी परिवार के सभी लोग स्नान आदि कर पूजा कक्ष में आए तो महसूस किया की वह कमरा एक विशेष गंध से आपूरित है दिव्य माला को देखकर सभी भाव विभोर हो गये |



इस घटना को लगभग ३ महीने बीत गए हैं, और लगभग एक हजार से भी ज्यादा अधिक मेरे परिचित जन ने उस दिव्य माला के दर्शन किये हैं, वे निश्चय नहीं कर पा रहे हैं की यह किस धातु की बनी हुई है.. और ये फूल किस प्रकार के हैं ! ३ महीने होने पर भी ये मुरझाये नहीं हैं ! देश के उछोती के साधू संतों ने भी इसके दर्शन किये हैं उन्होंने कहा है की उसे देखकर एक अपूर्व शांति का अनुभव होता है |



आश्चर्य की बात यह भी है की जिस रात्री को मुझे माँ जगदम्बा के दर्शन हुए, दुसरे दिन प्रातः काल ही गुरूजी का सन्देश मिल गया था, जिसमे लिखा है- 

साधना में सफलता एवं जगदम्बा दर्शन हेतु आशीर्वाद 


कहना न होगा, इन ३ महीनों में मेरा व्यापार काफी बढ़ा है.., और आश्चर्य की बात तो यह है की मेरे सभी मुक़दमे सामने वाली पार्टी ने स्वतः ही हटा लिए हैं | 

वास्तव में मैं अपने जीवन को धन्य समझने लगा की गुरु कृपा से मुझे जगदम्बा के साक्षात् दर्शन हुए, मेरा रोम-रोम उनके प्रति नमन है |

- Kunnu Bhai Hari Bhai. 

19 comments:

  1. Blog padh ker bahut hi aacchaa laga.....realy.......

    ReplyDelete
  2. गुरु की बातें सुनकर शिष्य का ह्रदय तो मचलता ही है भाई :)

    ReplyDelete
  3. Excellent story. Many thanks for sharing.
    Today when Gurudev is not in physical form, how can we know which sadh,a padhati is suitable for me

    ReplyDelete
  4. http://ancientgemastrology.blogspot.in/2014/01/blog-post_22.html

    ReplyDelete
  5. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  6. सर मुझे भी दुर्गा प्रत्त्यक्ष दर्शन साधना करनी
    आपने दिया हुआ जो मन्त्र हे ॐ ह्रीं दू दुर्गायै नमा
    वो पूरा हे क्या क्योकि नेट पे दिए हुए मन्त्र आधे अधूरे रहते है इस लिए साधक ने जितनी भी साधना करे कभी सिद्धि नही होती इस लिए गुरूजी
    आपसे निवेदन है कि प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़ पूरा मन्त्र बताये
    रिप्लाय दे प्लीज़

    ReplyDelete
    Replies
    1. Takdirwale ho sahi guru mile.
      Unko aur maa ko shat shat pranam.

      Delete
    2. Sarah.mojha.jagdamba.ki.sadhna.karne.ha.ashe.ki.mata.ko.ma.jab.bulau..jab.aya

      Delete
  7. Jab aapko maa Durga kye Darshan huye tab aap dhyan mye thye ya phir aap ankhye khol kr Mala sye Jaap kr rhe thye

    ReplyDelete
  8. Mye aap sye yeh clear karna chata Hu ki aap nye 101 Mala Jaap dhyan lga kr Kiya Tha ya phir maa Durga ka photo dyekhtye huye pls reply jarur karye

    ReplyDelete
  9. Mai aap se Milana chahata hu please apana Mo.no. Bhej de Mera Mo. 6352443850

    ReplyDelete
  10. Parbhu hamebhi guruji ka nambar dijiye taki hambhi kuch gyan le sake 9897498200 utrakhand

    ReplyDelete
  11. Is mantra ka kitna jaap karna hai mata ke darshan ke liye

    ReplyDelete
  12. नवार्ड मंत्र सर्व शक्तिशाली मंत्र है इस मंत्र का जप ि‍नित्‍य प्रतिदिन करना चाहिये सारे कार्य ि‍सिद््द्दहोगें

    ReplyDelete
  13. Logo ko bevkuf banana chhoro....sab jhut hai.

    ReplyDelete