“मैंने अपने जीवन
में लगभग सभी देवतओं की साधना संपन्न की है, और उनके प्रत्यक्ष दर्शन किये हैं,
परन्तु गणपति साधना शिघ्र एवं निश्चित फलदायक अनुभव हुई है, इसमें भी “गं गणपतये
नमः” श्रेष्ठ मंत्र है, प्रत्येक विषम परिस्थिति में इसका जप कल्याणकारी है.
पति-पत्नी के मध्य मनमुटाव, पारिवारिक कलह, व्यापर में घाटा, सरकारी झंझट, भीषण
व्याधि अदि सभी लौकिक कष्टों को दूर करने में यह मंत्र रामबाण के समान है. इस मंत्र
की नित्य १०८ मालाएं फेरें, और तब तक यह मंत्र जप चालू रखें, जब तक कार्य सिद्ध न
हो जाये. जो यज्ञोपवीत धारी न हो(गुरु से दीक्षित न हो), उन्हें “गं गणपतये नमः”
मंत्र का जप करना चाहिए, अन्य शिष्य “ॐ गं गणपतये नमः” का जप करें. यह परम
मंगलकारक मंत्र है."
- Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali.
गणेश शब्द का मूल
अर्थ है समस्त जीव जाति के स्वामी, कुछ लोगों का यह कथ्य है की ये अनार्यों के
देवता थे, और बाद में आर्यों ने इन्हें पञ्च देवताओं में स्थान दिया. यह असत्य है,
जो की ब्रिटिश लोगों के द्वारा फैलाया हुआ है. हमारी सभ्यता के प्रारंभ से ही जिन
देवताओं की उपासना होती आई है उनमे गणेश सर्वप्रथम पूजनीय रहे हैं. यह तो अकाट्य
सत्य है ही की यदि सुबह उठकर सबसे पहले गणपति ध्यान कर लिया जाये तो पूरा दिन मंगलकारी
व्यतीत होता है, दिन भर शुभ समाचार मिलते ही रहते हैं. ये मेरा खुद का अनुभव रहा
है कि केवल मात्र इनका स्मरण कर लेने से ही इतने आश्चर्यजनक फल प्राप्त होते हैं तो
आप कल्पना करें उस साधक का भाग्य जो इन्हें अपना ईष्ट मानकर नित्य प्रातः काल इस
मंत्र का १०८ माला जप करते हैं. आर्थिक दृष्टि से ऐसे लोग पूर्ण संपन्न बनते ही
हैं, इसमें कोई दो राय नहीं क्यूंकि शाश्त्रों में स्पष्ट बताया गया है कलियुग में
इनकी साधना अति शिघ्र फलदायक है. जप के लिए कोई स्फटिक अथवा रुद्राक्ष की प्राण-प्रतिष्ठित
माला ले सकते हैं, मगर यह ध्यान रखें की माला भी शुद्ध प्रामाणिक और चैतन्य हो. आजकल
नकली चीजें फैशन बन गया है. प्राण-प्रतिष्ठित और मंत्र चेतना युक्त माला अगर आपको
प्राप्त करना हो तो मुझसे प्राप्त कर लें.. या फिर गुरुधाम से मंगवा लें या अगर
आपको क्रिया ज्ञात हो तो स्वयं ही कर लें... मगर सिर्फ एक शुद्ध स्फटिक माल्य की
ही आवश्यकता है इसमें अन्य किसी प्रकार के उपकरण या यन्त्र आदि की अनिवार्यता नहीं
है इसीलिए ये साधना तो प्रत्येक व्यक्ति को जरुर करके देखना चाहिए.
सिद्धाश्रम साधक
परिवार की जय !
परम पूज्य गुरुदेव
की जय !
मेने अपने जीवन में कोई भी साधना नहीं की हे \ ना ही कोई गुरु हे मेरे लेकिन में रोज मंदिर जाता हु और जेब में दुगा मन्त्र पड़ता हु ( ॐ ह्री दू दुर्गाय नम: ) तो मेरे दोनों आखो के बिच में दर्द चालू हो जाता हे| ओर अपने साथ जो होने बाला होता हे उष को पहेले ही देख लेता हु लेकिन जेब वो होराह हो ता हे तो मुझे याद आता हे की ये तो में पहेले ही देख चुका हु \\\\\\\\\\\\\\\\ में अपनी शेक्तियो को बेडा ना चाहता हु आप मेरी हेल्फा केर सकते हे कुलदीप सिंह मोबाइल 09873409763 delhi से हे हेम
ReplyDeleteaap vidhi purvak sadhana karein
ReplyDeleteगणपती के मन्त्र में उच्चारण " गम गणपतये "नाम: है या "गंग गणपतये नाम:" है
ReplyDeleteक्रिपया कर के बताएं
Anil Bhai,
ReplyDeleteDono sahi hain, par Gam is easy to pronounce, so use gam.
I have heard it in voice of my guru Dr narayan dutt shrimali jee's voice.
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