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Wednesday, July 9, 2014

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नई
दिल्ली। अर्थशास्त्र और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भारत की ख्याति प्राचीन काल से ही थी। दिल्ली के प्रसिद्ध बिरला मंदिर के वाटिका में एक राज़ छिपा है। इसकी गवाही भारत के विद्वानों द्वारा दी जाती है।

बिरला
मंदिर की यज्ञशाला की दीवारें भी शायद वक्त से आगे की हैं। उन दीवारों पर कुछ ऐसा लिखा है जो समय की रफ्तार तक रोक दे।

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ज्येष्ठ शुक्ला 1 संवत् 1998 तारीख 27 मई 1941 को बिरला हाउस में पंडित कृष्णपाल शर्मा ने लोगों के सामने एक तोला पारे से लगभग एक तोला सोना बनाया था।

पंडि़त
कृष्णपाल शर्मा के हाथ में कुछ ऐसा सूत्र था जिसे जानने के लिए सभी बेताब थे। क्या पारे से सोना बनाने का यह सूत्र वाकई सच हो सकता है, किसी भी समझ में कुछ भी नहीं रहा था। सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। पंडित कृष्णपाल शर्मा के दावे की सचाई जांचने की खातिर एक से बढ़कर एक विद्धान और वैज्ञानिक वहां इकट्ठे हो चुके थे।

बिरला
मंदिर के मुख्य आचार्य डॉक्टर रवींद्र नागर के मुताबिक सोने को पूरी तरह से वैज्ञानिक तरीके से बनाया गया। कोई मिलावट नहीं की गई। कई सुनार और जौहरियों ने भी जांचा और परखा।

आज
से लगभग सात दशक पहले एक विशेष क्रिया को अंजाम दिया गया। रसवैध शास्त्री स्वर्गीय पंडित कृष्णपाल शर्मा ने समाज के कुछ ज़िम्मेदार प्रतिनिधियों और विद्वानों के सामने पारा से सोना बना कर सबको हैरत में डाल दिया। इस बात की साक्षी यज्ञशाला की दीवारें है।
राज सामने चुका था लेकिन फिर भी किसी को कुछ नहीं मालूम हुआ। लोगों ने पारे को सोने में बदलते देखा लेकिन यह चमत्कार कैसे हुआ कोई नहीं समझ पाया। सोना बनाने वाले पंडित कृष्णपाल शर्मा की मर्जी के बगैर कोई ये राज जान नहीं सकता था।

बिड़ला
मंदिर के प्रशासकों ने इस बात के पुख्ता इंतजाम किए थे कि इस सच की परत दर परत उधेड़ी जा सके। वहां एक से बढ़कर एक पढ़े लिखे और समझदार लोग मौजूद थे। इस दावे की सच्चाई को परखने का काम उनके जिम्मे था।

पंडित
कृष्णपाल ने पारे से सोना बनाते वक्त दस फुट की दूरी पर खड़े थे। उस समय श्री अमृतलाल ठक्कर, श्री गोस्वामी गणेश दत्त,सीताराम खेमका, चीफ इंजीनियर विल्सन और वियोगी हरी उपस्थित थे। सब पारे को सोने में बदलते देखकर हैरत में पड़ गए।

पारा
से सोना बनता देखने वाले गवाहों के नाम रिकॉर्ड में दर्ज है। गवाहों में सीताराम खेमका चीफ इंजिनियर विल्सन और वियोगी हरि तमाम ऐसे लोग हैं जिनका सभ्य समाज से वास्ता है। ये सभी पढ़े-लिखे लोग थे जिन्होंन किसी दावे को सच मानने के पहले अपने विवेक का इस्तेमाल किया होगा।

- IBN Khabar, Click to see Video

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