सम्पूर्ण श्रृष्टि कर्म प्रधान है, बिना कर्म किये
किसी भी फल कि प्राप्ति संभव नहीं होती, विशिष्ट इच्छापूर्ति कि तो बात ही क्या
करें ! और हमारे जीवन में हमारी कई इच्छाएं हैं, जो हम चाह कर भी पूरी नहीं कर
पाते... तो फिर क्या करें ?
व्यापार आगे नहीं बढ़ रहा है,
मनोवांछित विवाह नहीं हो पा रहा है..
अच्छी नौकरी नहीं मिल रही है...
किसी ने तंत्र प्रयोग करा दिया हो !
तो इन सब के लिए हमें साधना करना ज़रूरी ही है, और यह भी उच्च कोटि का कर्म ही है,
ऐसा नहीं है कि आप आसन पर बैठ मंत्र जाप कर रहे हैं तो कुछ कर नहीं रहे ..... ऐसा
बिलकुल भी नहीं है ! ऐसा तो स्थूल दृष्टि से देखने वाले व्यक्ति सोच सकते हैं कि
मंत्र साधना या अनुष्ठान करना कोई कर्म नहीं होता | वास्तव में अनुष्ठान करना,
जप-तप-दान-धर्म आदि का फल तो कभी भी व्यर्थ जाता ही नहीं है | हाँ, यह बात है कि
सही तरीके से विधान संपन्न करना बहुत अधिक आवश्यक है अगर आपको उचित फल चाहिए तो |
पन्द्रहिया यन्त्र साधना के बारे में आज मैं लिखा रहा हूँ जो आपमें से जिसे भी
अपने जीवन को संवारना हो, वह इस मकर संक्रांति के पर्व पर 14 जनवरी को यह साधना
अवश्य करे !
यूं तो मकर संक्रांत का अपना ही एक अलग महत्व है, पर यह दिन इसलिए भी मैंने आपको
बताया क्यूंकि इस यन्त्र को लिखने का एक निश्चित समय निर्धारित है, उसी दिन लिखने
से, ठीक उसी प्रकार से लिखने पर और मंत्र जाप करने पर ही इस यन्त्र कि सिद्धि संभव
हो पाती है, अन्यथा नहीं.
क्यूंकि इस यन्त्र के बारे में तो आपने बहुत चर्च सुनी ही होगी, बहुतों के मुंह से
आपने ये सुना होगा कि केवल इस एक यन्त्र के प्रभाव से उनकी खोयी हुई आर्थिक
सम्पन्नता पुनः वापस मिली है, व्यापार में आश्चर्यजनक लाभ हुआ है इत्यादि
इत्यादि.... मगर उन दुकानदारों ने क्या किया कि इस यन्त्र को ताम्बे के पत्र पर
बनवाकर ऊंचे दामों में बेचने लग गए. इससे उनकी खूब कमाई होने लगी, कोई 2,100 मूल्य
का यन्त्र बेचता, कोई और अधिक !
मगर आप एक बात बताइए, कि जब उसमें स्पष्ट निर्देश है कि ठीक इसी प्रकार से इसी
क्रम से इनमे अंक भरें जायें, इसी तिथि को लेखन हो, इस स्याही से ही लेखन हो,...
तो फिर अपने मन से सिर्फ उसकी आकृति बना देने से कैसे लाभ हो जायेगा ?
और इसका मंत्र जाप कौन करेगा ? ..............जो कि 21 दिन करना है.....
और जब मंत्र और यन्त्र सिद्ध ही नहीं किया गया, तो फिर ऐसे यन्त्र कि आकृति चाहे
ताम्बे के पत्र पर बना ली जाये, या रजत पर या स्वर्ण पर, चाहे रोज़ उसकी
धूप-अगरबत्ती करें, प्रसाद चढ़ाएं, फिर भी वह लाभ क्या दे पायेगी, और कितना दे
पाएगी.
पन्द्रहिया यन्त्र सिद्ध करने कि विधि – यह एक अति प्रभावशाली यन्त्र जिसके
निर्माण में ही कुछ ऐसा है कि इससे कई प्रकार के मनोरथ सिद्ध होते हैं. इसमें एक
से लेकर नौ अंक नौ खानों में भरे जाते हैं, मगर कौन सा अंक किस खाने में भरना है,
पहले कौन सा अंक लिखना है कौन सा बाद में...... इसी के अनुसार फल प्राप्ति होती
है. यह यन्त्र 4 प्रकार के बनते हैं – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्णीय
यन्त्र. मुख्यतः ब्राह्मण यन्त्र ही सर्वाधिक प्रचलित है क्यूंकि यह सबसे अधिक प्रभाव
देता है.
इस यन्त्र को लाल चन्दन या हिन्गूल या अष्टगंध से उस दिन लीकें जब चन्द्रमा मिथुन
/ तुला / कुम्भ राशिस्थ हो. इस तिथि को स्नान करके उत्तराभिमुख होकर सामने एक खाली
घड़ा रख लिया जाता है. इसके बाद भोजपत्र पर अनार कि कलम से अष्टगंध से इस यन्त्र
आपको लिखना है. इसके ऊपर के भाग पे घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें, और नीचे के भाग
में गुग्गल का धुप जला लें. और साथ में नैवेद्य इसकी बायीं और रखा जाता है.
यन्त्र लिखते समय आपको बीज मंत्र का उच्चारण निरंतर करते रहना है.
फिर यन्त्र लिखने के पश्चात पीली हकीक माला से केवल 6 माला मंत्र जाप इस छोटे से
मंत्र का कर लें जो कि केवल तीन अक्षरों का है | यही क्रिया 21 दिनों तक करें,
नित्य नया यन्त्र निर्माण करना है और छः माला मंत्र जाप करना है, यन्त्र सिद्ध हो
जायेगा. इसके बाद यन्त्र का प्रयोग जब भी किया जाए तो उसी अनुसार लाभ प्राप्त होता
है,
- विद्या प्राप्ति
- लक्ष्मी प्राप्ति
- वशीकरण
- आरोग्यता
- तंत्र बाधा निवारण
- पुत्र – रत्न कि प्राप्ति
- मनोवांछित कार्य सिद्धि
इसका प्रयोग का तरीका सिर्फ इतना है कि यन्त्र सिद्ध कर लेने के पश्चात आपको कुछ
संख्या में यन्त्र लिखकर उसकी छोटी गोली बनाकर आंटे में मिलाकर मछलियों को खिला
देना है. आपने जिस भी कार्य के लिए प्रयोग किया था वह कार्य निश्चित ही होता है.
Panchdashi Yantra (शूद्र संज्ञक) |
कृपया आपसे एक निवेदन है कि मैं पूरी प्रक्रिया और बीज मंत्र इत्यादि यहाँ नहीं
लिख पाउँगा, क्यूंकि अब साधना करने वाले लग बहुत कम हो गए हैं, मुख्यतः लोगों को
सिर्फ विधान एकत्र करके रखने में दिलचस्पी है. उसे करके लाभ पाने में वे संकोच
करते हैं, तो मैं भी केवल उन्हीं कुछ व्यक्तियों को यह विधान बताना चाहूँगा जो
वास्तव में साधना करने वाले हैं. अतः आप कृप्या सारी सामग्री जैसे कि भोजपत्र, पीली
हकीक माला, अनार कि कलम, गुग्गल आदि कि व्ययवस्था जल्द कर लीजिये और मुझसे संपर्क
करके पूरी विधि जान लीजिये फिर साधना करिए.
क्यूंकि गुप्त विधान यूँही सभी को नहीं बता दिए जाते, फिर उससे लाभ भी नहीं मिलता
!
इस यन्त्र साधना से क्या-क्या लाभ प्राप्त हो सकते हैं ?
१ से नौ तक अगर यन्त्र लिखकर सिद्ध करते हैं तो यक्ष सिद्ध होता है.
२ से शुरू कर लिखने पर राज्याधिकार में विजय मिलती है.
३ से शुरू कर लिखने पर व्यापार वृद्धि.
४ से शुरू कर लिखने पर सभी दोषों का, उच्चाटन आदि प्रयोग नष्ट हो.
५ से शुरू कर लिखने पर अशुभ फल मिलता है, इसे न करें.
६ से शुरू कर लिखने पर मारण प्रयोग से रक्षा.
७ से शुरू कर लिखने पर वशीकरण सिद्धि.
८ से शुरू कर लिखने पर अत्यधिक धन लाभ.
मेरा सुझाव यही है कि सभी को ३, ४ और ८ से शुरू करके अंक भरने वाला क्रम करके
अवश्य कम-से-कम एक बार तो देखना ही चाहिए. आपको इस क्रिया में अधिक समय नहीं लगेगा | 21 दिन कि साधना है, इसलिए बहुत सरल भी है.
अच्छे समय का लाभ ज़रूर उठाएं और जब साधना करने का मन बना लें तो मुझे सूचित कर
दीजियेगा मैं पूरी प्रक्रिया समझा दूंगा. सदगुरुदेव आपको पूर्णता दें. आपके लिए
आने वाले शुभ पर्व पर नित्य नयी सफलताओं कि कामना करता हुआ, आपका गुरुभाई..
sar me pitr sadna krna chhta hu jis me pitr ka prtksikran ho kya koi asi sadna vidhan h to plz btae or jo gar par ki ja ske plz
ReplyDeleteji bhai zarur.. wo vidhan samay aane par post kiya jayega, Pitra paksh ko yani Sept month me wo sadhana karne ka vidhan hai jisse swapn me ya fir pratyaksh bhi anuhutiyan hoti hain.
Deleteiske alawa aap kisi bhi amavasya ko shaam ke samay pipal ped ke niche kheer aur jal chadhake ghii ka deepak jala sakte hain apne pitron ko yaad karke is chhote se vidhan ko karne se bhi ghar me sukh shanti, vyapar unnati, lakshmi prapti aur manokamna purti hoti hai !
Maine pura kar liya 21 din ki prakriya age kya krna hai plz btaye hme..!
ReplyDeleteGuru ji hume iski puri pratkriya chahiye
ReplyDeleteGuru ji Pranam mujhe pandrahiya yantra sidh karna hai kripya uchit margdarshan kare 🙏🏻
ReplyDeleteMantra aur Puri विधि bataiye Guru ji
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