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Saturday, January 24, 2015

who will win Bharat - Australlia match ?

Original Horary chart

18
जनवरी को जब भारत – अस्ट्रेलिया का मैच हो रहा था, मैं अपने कुछ मित्रों के साथ बैठा था,... चर्चा चल रही थी ज्योतिष और इसकी प्रमाणिकता पर !

“ज्योतिष सिद्धांत कितने सही होते हैं ??... इसपर फलादेश कितना सटीक बताया जा सकता है ?” – मेरे एक मित्र ने पूछा, संभवतः उसे कई लोगों के सही-गलत फल कथन करने कि वजह से कुछ अविश्वास इस विज्ञान के प्रति हो गया था.


मैंने तत्काल उनसे कहा भाई, आप मैच का स्कोर देख रहे हो, बार-बार, अगर मैं पहले ही पता करके बता दूँ क्या फैसला होगा तो कैसा रहेगा ? वैसे मुझे ऐसे किसी मैच इत्यादि देखने में रुचि नहीं रहती, मगर मुझे तो कृष्णमूर्ति पद्धति कि प्रमाणिकता सिद्ध करनी थी. 

के०पी० भाग – 6 में इसी प्रकार से एक फलकथन करके बताया हुआ है, वही मैं पुनः जांच लेना चाहता था, कि कितना सही उत्तर मिल पाता है. उस समय तो मैच अपनी चरम सीमा में था, कुछ बताना मुश्किल था, भारत जीतेगा या अस्ट्रेलिया ही मैच जीत जाएगा..?


तो इसके लिए मैंने अपने एक मित्र से प्रश्न किया तुम्हें क्या लगता है कौन सी टीम जीतेगी ?
एक अंक बताओ 1 से लेकर 249 के बीच में (इस अंक से मुझे K.P Horary Chart बनानी थी). उसने कहा – “अस्ट्रेलिया जीतेगा. अंक देता हूँ – 100.


अब मैंने इसपर जिस प्रकार से फलादेश किया वही मैं अब यहाँ स्पष्ट कर रहा हूँ...



जीत या हार के लिए इस बनी हुई कुंडली में पहला घर अर्थात लग्न हो जायेगा अस्ट्रेलिया, जबकि लग्न से सातवाँ घर हो जायेगा भारत के लिए लग्न. और इसमें दोनों टीमों के 


प्रथम,
तृतीय,
पंचम और 
ग्यारहवें
घरों का सूक्ष्मता से अध्ययन करना है.

Australlia's Chart

अस्ट्रेलिया -

१. लग्न उपेश – बुद्ध, स्वयं पंचम भाव में स्थित है, और बुद्ध का तारा है – चन्द्रमा.
चन्द्रमा स्वयं स्थित है चौथे भाव में, और साथ ही यह बारहवें घर का स्वामी है.
अब कृष्णमूर्ति पद्धति के प्रथम नियम के अनुसार लग्न सर्वाधिक चौथे भाव का प्रतिनिधित्व करता है क्यूंकि बुद्ध का नक्षत्रेश चन्द्रमा चतुर्थ भावस्थ है. यह जीत दर्शाता है, मगर मामूली सी जीत, बहुत भारी जीत नहीं. मगर इसके साथ ही चन्द्रमा नक्षत्रेश वक्री है, अतः यह जीत नहीं दिला सकता.

२. तृतीय उपेश – शनि. शनि स्वयं बैठा है तीसरे भाव में ! और शनि का नक्षत्रेश खुद शनि ही है, जो कि 6 ठे और 7 वें भाव का स्वामी है. 
तीसरे भाव में स्थित होने के कारण निश्चय ही यह विजय दायक है. नियमानुसार यह सबसे प्रबल कारक बनता है तीसरे घर का, उसके बाद क्रम से 6 ठे और 7 वें भाव का. 
6 ठा भाव विजय कारक बनता है तो वहीँ दूसरी ओर सातवाँ घर पराजय दर्शाता है. 
इसका मतलब जीत तो अवश्य होगी मगर इतनी आसानी से नहीं (क्यूंकि शनि प्रतिद्वंदी के लग्न यानी सप्तम भाव का भी कारक बन रहा है दूसरे लेवल पे).

३. पंचम उपेश – पुनः बुद्ध.

४. एकादश उपेश – बुद्ध.

Bharat's Chart

भारत – इसके लिए आपको सप्तम भाव को लग्न मानकर इसी प्रकार सभी घरों को गिनना होगा !

१. लग्न उपेश – बुद्ध. बुद्ध स्वयं स्थित है एकादश भाव में. बुद्ध नक्षत्रेश चन्द्रमा स्थित है दशम भाव में. तो इससे पहली बार में तो यही समझ में आता है कि यह जीत दिलाएगा, मगर ध्यान दें – चन्द्रमा, जिसका नक्षत्रेश वक्री है.

२. तृतीय उपेश – शनि जो कि अपने खुद के तारे में है यह नवं भावस्थ है, जो कि पराजय कारक माना जायेगा.
पंचम, सप्तम और नवं भाव पराजय 
दसम, एकादश, तृतीय इत्यादि विजय का सूचक माना जाता है.

३. पंचम उपेश – बुद्ध.

४. एकादश उपेश – बुद्ध.

अतः इतने थोड़े से समय में ही मैं इस निर्णय पर पहुँच गया कि इस के०पी० होररी कुंडली के हिसाब से अस्ट्रेलिया कि जीत है, मगर बहुत कम अंतर से, उसी समय मैंने उसे बताया और हम स्कोर देखते-देखते बातें करने लगे. कुछ समय बाद अंततः परिणाम यही निकला. 
इस पद्धति से हम किसी के भी हार-जीत का सही फल कथन लगा सकते हैं, इसकी प्रमाणिकता कई बार सिद्ध की जा चुकी है.

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