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Tuesday, December 30, 2014

Why Vedic Astrology fails ?



कई ज्योतिषियों को यह भ्रम है कि वैदिक ज्योतिषी और K.P. दोनों अलग - अलग विधि हैं ज्योतिष के ... मैं पूछता हूँ क्या उन्होंने K.P. का अध्ययन किया ?
यदि नहीं किया है, तो अवश्य करें, क्यूंकि उसके बिना वे ऐसी धारणा भला कैसे रख सकते हैं.

आज भारत में इतने संख्या में जोतिषी भरे पड़ें हैं और मैं दावे के साथ कहता हूँ, कि आप 5 ऐसे जानकार ज्योतिषियों से अपनी जन्म-कुण्डली दिखा लीजिये वे आपको पांच अलग बातें बता देंगे. और पाँचों कि बातें, पाँचों कि राय, उनका निष्कर्ष आपस में भिन्न रहेगा. तो फिर ऐसा क्यूँ है ??

और फिर सामान्य जन इसके लिए क्या करे, कहाँ जाये ..?

क्यूँ न खुद ही आपको कोई ऐसी विधि बता दी जाए जो सही हो, सरल हो, जिससे आप स्वयं अपने जीवन कि समस्याओं का निराकरण कर सकें.

मैंने इसीलिए ब्लॉग के माध्यम से सबकुछ आपके सामने रखने का निर्णय किया था
नहीं तो मैं भी अन्य ज्योतिष कि तरह धनोपार्जन तो कर ही सकता था, फिर ऐसा करने कि मुझे क्या ज़रुरत थी..... इसकी इसलिए आवश्यकता थी तांकि आपका धन, आपका समय नष्ट न हो... आपके जीवन में सुधार हो, और सच - मुच ज्योतिष के माध्यम से आप लाभ ले सकें. K.P. के माध्यम से तो लोगों ने Shares तक में invest करके लाखों रुपये कमाएं हैं, क्यूंकि यह इतना सही होता है, अगर यह गलत होता तो भला ऐसा कैसे संभव हो पाता था ? और फिर अगर आप स्वयं इसे सीख लें तो आप स्वयं क्या-क्या कर सकते हैं... 


आज के लेख में मैं ASPECT OF PLANETS अर्थात ग्रहों कि आपस में दृष्टि को समझाऊंगा. 
महर्षि पराशर ने बताया है कि सभी ग्रह सातवें भाव पर दृष्टि डालते हैं. इसके साथ ही शनि 3rd और 10th घर में, बृहस्पति 5th और 9th घर पर और मंगल 4th और 8th पर भी दृष्टि डालते हैं | और इन ग्रहों कि ये दृष्टियाँ 7 वें घर कि दृष्टि से अधिक बलवान होती है | मगर, केवल इतने से काम नहीं चलेगा, इसी वजह से गलती होती है ! 

भाव से भाव कि दृष्टि देखने में इसलिए गलती कि सम्भावना बहुत अधिक हो जाती है, क्यूँ गलती होने कि संभावना बनती है, क्यूंकि एक राशि में होते है - 30°, परन्तु दो ग्रहों के बीच वास्तविक दृष्टि कितनी है, यह देखना है तो सबसे सरल तरीका है ग्रहों के अंश को देखो !  
जो कि शायद कम ही गिने चुने ज्योतिष जानते हैं देखना और उसका प्रभाव .....
तो वही मैंने आज यहाँ लिखा है, अगर इस विधि से देखेंगे तो बिलकुल एक - एक बात समझ में आती है. 
सीधी सी बात है न, अगर हमारे पास एक घडी है, जिसमें सेकंड कि सुई है ही नहीं, तो वह घडी हमें केवल मिनट ही तो बताएगा... सेकंड नहीं बता सकता वह. इसी प्रकार से अगर मिनट वाली सुई भी हटा दो, तो घंटे वाली सुई तो सिर्फ एक-एक घंटे का समय बताएगा, या तो 9 बजेंगे, या फिर सीधे 10..... अब अगर बिच में वह सुई है तो 9:11 बजा है या 9:48 या 9:35 वह हमें ठीक-ठीक नहीं मालूम.
ठीक इसी कारण से ग्रहों कि दृष्टि भी हमें ग्रह-अंश से देखना चाहिए.



1. Conjunction                      0°                           सर्वाधिक शुभ, बलि 

2. Opposition                        180°                       अशुभ

3. Trine                                 120°                       बहुत शुभ

4. Square                               90°                         अत्यधिक अशुभ



5. Sextile                                 60°                         ट्राईन के सामान शुभ

6. Semi - Square                    45°                        कम अशुभ 

7. Semi - Sextile                     30°                        कुछ शुभ 

8. Quincunx                            150°                      विपरीत फल

9. Quintile                               72°                        शुभ 

10. Biquintile                          144°                      ट्राईन के समान शुभ

11. Sesquiquadrate                135°                     45° के समान कुछ अशुभ



12. Vigintile                            18°                        कुछ शुभ

13. Quindecile                         24°                        कुछ शुभ

14. Decil Semiquintile            36°                        काफी शुभ 



15. Tredecile                          108°                      शुभ 

                                                 54°                        कुछ शुभ 
                                     
                                                162°                      कुछ शुभ 



कोई भी ग्रह इसमें भी उसी अनुसार दृष्टि कर रहा है जैसा वेदोक्त बताया है अर्थात ऐसा नहीं है कि कोई ग्रह नियमों को छोड़कर 2, 6, या 11 में दृष्टि डाल दे ! बिलकुल नहीं... अर्थात यह सूक्ष्मता के लिए अवश्य अपनाई जा सकती है, अन्यथा गलती कि संभावना होती है.

contd....

2 comments:

  1. Astrology is characterized as, "the divination of the alleged impacts of the stars and planets on human undertakings and earthly occasions by their positions and perspectives." There's a well-known axiom that things are "written in the stars," and for adherents of astrology,


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