भगवान शिव तो पल में प्रसन्न होने वाले और साधक कि सभी प्रकार की मनोकामना को
पूर्ण करने वाले महादेव हैं, वे प्रसन्न होते हैं तो रावण की नगरी को सोने का बना
देते हैं, कुबेर को देवताओं का कोषाध्यक्ष बना देते हैं, इंद्र को अमोघ वज्र प्रदान
कर देवताओं का अधिपति बना देते हैं और ब्रह्मा को पूर्ण चैतन्य सिद्ध बना देते हैं
|
श्रावण मास शिव को अत्यधिक प्रिय है और
शिव पुराण में स्पष्ट उल्लेखित है कि जो कोई भी, सन्यासी या गृहस्थ, अगर श्रावण मास में विशिष्ट शिव साधना
संपन्न कर लेता है, तो उसके भाग्य में लिखा हुआ दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है, अगर उसके जीवन में दरिद्रता लिखी हुई भी है तो भी भगवान् शिव की यह साधना उस दुर्भाग्य को
मिटाकर सौभाग्य कि पंक्तियाँ लिख देता है, अगर
जीवन में कर्जा है, व्यापार न्यूनता है, आर्थिक अभाव है तो यह साधना श्रेष्ठ साधना है, क्यूंकि यह साधना सरल है, निश्चित फलप्रद है, अद्वितीय है |
शिव पुराण में स्पष्ट उल्लेखित है कि जो कोई भी, सन्यासी या गृहस्थ, अगर श्रावण मास में विशिष्ट शिव साधना
संपन्न कर लेता है, तो उसके भाग्य में लिखा हुआ दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है, अगर उसके जीवन में दरिद्रता लिखी हुई भी है तो भी भगवान् शिव की यह साधना उस दुर्भाग्य को
मिटाकर सौभाग्य कि पंक्तियाँ लिख देता है, अगर
जीवन में कर्जा है, व्यापार न्यूनता है, आर्थिक अभाव है तो यह साधना श्रेष्ठ साधना है, क्यूंकि यह साधना सरल है, निश्चित फलप्रद है, अद्वितीय है |
१. रोग निवारण – शिव जो वैद्यनाथ हैं, अपने भक्तों को इस साधना को संपन्न करने पर रोग मुक्त करते हैं और अकाल मृत्यु, बीमारी, मानसिक चिंताओं से जीवन भर के लिए मुक्ति दिलाते हैं | हम आज तरह तरह से प्रयास करते हैं कि हमें आराम मिले, कभी हम घुमने चले जाते हैं जीवन से परेशान होकर, कभी ठंडी हवा खाने के लिए ऐ०सी० लगाते हैं, कभी आराम के साधन जुटते रहते हैं, परन्तु सत्य तो यह है कि इन सब के बजाये अगर शिव आराधना पूरे मनोयोग से करें तो उसी में पूर्ण सुख कि प्राप्ति संभव है !
२. लक्ष्मी का घर में स्थायी निवास – शाश्त्रों में तो यहाँ तक लिखा है कि सभी
लक्ष्मी कि साधनाओं का इस साधना के सामने कोई महत्वा ही नहीं है, केवल मात्र
श्रावन मास में जो व्यक्ति शिव साधना कर लेता है, लक्ष्मी उसके घर में आकर निवास
करने को बाध्य हो जाती है, फिर उसे कनकधारा स्तोत्र, अन्य स्तोत्र इत्यादि अलग से
करने कि जरोरत नहीं पड़ती, अगर वह यह मंत्र जाप कर लेता है तो...
३. भूत सिद्धि.
४. भगवान शिव के प्रत्यक्ष दर्शन !
इसके लिए अष्ट संस्कारित पारदेश्वर शिवलिंग अनिवार्य है, जिसपर यह साधना मंत्र जाप और पूजन संपन्न करना है | शास्त्रों में यह बात कही है कि शिवलिंग को घर में स्थापित नहीं करना चाहिए और एक बार जहाँ इसका स्थापन हो गया उस जगह से इसे हटाना शास्त्रों के विरुद्ध है, मगर पारद शिवलिंग और नर्मदेश्वर शिवलिंग ही एक मात्र ऐसे हैं जिसे गृहस्थ भी अपने घर में स्थापित कर सकता है और इसे एक जगह से दूसरी जगह भी हटाकर रखा जा सकता है | ऐसा शिवलिंग अति-दुर्लभ तो है ही मगर अगर कहीं से मिल जाये तो इन्हें साक्षात शिव ही समझना चाहिए |
- यह जो मंत्र यहाँ पर दिए जा रहे हैं, इन्हें श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को
करना है, मतलब यह नहीं कि आपको पूरे सावन भर यह साधना करनी पड़ेगी, केवल मात्र श्रावण
के सोमवार को ही पूजन और मंत्र जाप संपन्न
कर लें |
- इस दिन केवल एक समय शुद्ध सात्विक भोजन करें, इसके अलावा दिन भर में दूध, फल
इत्यादि ले सकते हैं |
- प्रत्येक वार रुद्राक्ष माला से रात्रिकाल में ११ माला मन्त्र जाप शुद्धता से कर
लें, इससे पहले शिवलिंग का पूजन सामन्य या विशेष किसी भी विधि से अवश्य कर लें,
केवल जलाभिषेक, बिल्वपत्र चढ़ाना, दुग्धाभिषेक भी कर सकते हैं |
प्रथम सोमवार – इस मन्त्र से मनोवांछित फल कि प्राप्ति होती है, खासकर जिन कन्याओं
का विवाह में विलम्ब हो रहा हो, वे ये साधना करें तो शीघ्र लाभ मिलता है |
|| ॐ ऐं शाम्ब सदाशिवाय नमः ||
द्वितीय सोमवार – इस मन्त्र को स्नान कर पीली धोती पहनकर पीले आसन पर बैठकर करें,
उत्तर कि और मुंह किया हुआ हो, सामने शिवलिंग को बाजोट पर पीले वस्त्र पर स्थापित
करके सबसे पहले हाँथ में जल लेकर संकल्प लारें कि मैं इस कार्य कि पूर्ती के लिए
यह मन्त्र कर रहा हूँ मुझे शीघ्र इस फल कि प्राप्ति हो, और फिर इस मन्त्र कि
ग्यारह माला संपन्न कर लें |
|| ॐ ऐं ऐं सर्व सिद्धि प्रदायै शिवायै नमः ||
तृतीय सोमवार – इस दिन भी आप पीली धोती धारण कर उत्तर या पूर्व कि मुख कर बैठ
जायें और हाँथ में जल लेकर संकल्प में अपना नाम और गोत्र बोलेन, फिर अपनी इच्छा
बोलें, फिर इस मंत्र कि ११ माला संपन्न कर उठ जायें, कई बार साधना पूरी होते-होते
मनोकामना पूर्ती होने का संकेत भी मिल जाता है |
|| ॐ ह्रीं अन्नपूर्णा शिवायै नमः ||
चतुर्थ सोमवार – महादेव पर २१ बिल्वपत्र या पुष्प चढ़ाएं, केसर का त्रिपुण्ड
लगायें, फिर इसी प्रकार से मंत्र जप संपन्न करने के पश्चात श्रधा भाव से साधना
समाप्ति पर उन्हें अपनी बात व्यक्त करें |
|| ॐ शक्तयै सदाशिवाय नमः ||
दूसरे दिन पूजन कि सभी सामग्री को पवित्र नदी या मंदिर में विसर्जित कर दें, पाँच
कन्याओं को भोजन करा दें, और यथोचित दान दें | यह एक अद्भुत साधना है जिससे निश्चय
ही साधक कि सभी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं | हर हर महादेव.....
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