प्रेमी-प्रेमिका में, पति-पत्नी में, भाइयों में या दोस्तों में मित्रता रहेगी
या नहीं, ये कैसे पता करें ?
कैसे मालूम करें कि जिसके साथ हम partnershipping करने कि सोच रहे हैं, कहीं वह हमें धोखा तो नहीं देगा ?
कैसे मालूम कर सकते हैं हम कि Life-Partner के
साथ हमारी कितनी बनेगी ..?
ज्योतिष में प्रत्येक
राशि का एक अपना स्वभाव होता है, और बारह के बारह राशि विभिन्न तत्व प्रधान होते
हैं | व्यक्ति कि जन्म-कुण्डली में जिस घर में चन्द्र हो, उस घर कि राशि को ही हम
चन्द्र-राशि अथवा ‘राशि’ कहते हैं, और इस राशी का जैसा स्वभाव होगा, जैसी इस राशि
कि प्रकृति होगी, उसी के अनुरूप ही वह व्यक्ति भी कार्य करेगा, सोचेगा, चलेगा..
इसीलिए ज्योतिष में राशि को तो सबसे अधिक महत्व देते हैं |
चन्द्रमा का सम्बन्ध होता है मन से, इसीलिए जिस भाव में चन्द्र स्थित होगा उस भावगत
राशि के अनुरूप ही जातक का मन कार्य करता रहेगा | और यह राशियाँ तत्त्व प्रधान
होती हैं, एक विशेष तत्व से प्रभावित होती हैं, जातक भी उसी तत्व विशेष से
प्रभावित रहेगा | ये तत्व आपस में मत्री-अमैत्री स्वभाव लिए रहती हैं, कुछ राशियाँ,
या कुछ तत्व तो आपस में शत्रु सा व्यवहार करती हैं, परन्तु वहीँ कुछ घनिष्ट
मित्रता भी रखती हैं | अगर पति-पत्नी में से पति कि राशी का स्वभाव है अग्नि, और
पत्नी कि राशि वायु प्रधान है तो उन दोनों में घनिष्ट मित्रता रहेगी और जीवन भर
दाम्पत्य सुख उन्हें मिलेगा, यदि कभी हलकी नोक-झोंक हो भी जाती है, तो वह थोड़े समय
में ही प्रेम में बदल जायेगा | वहीँ दूसरी और, अग्नि और पृथ्वी तत्व, जो कि आपस
में शत्रु हैं, इस स्वभाव के दो लोग ज्यादा समय तक मित्र नहीं रह पाते, और यह मिलान
मैंने कई-कई बार करके देखा है, हर बार यह बात बिलकुल सोलह आने सच निकली है !
ज्योतिष कोई खेल या मखौल का विषय नहीं है, इसीलिए जिसे इस बारे में ज्ञान नहीं है,
या जिन्हें रुचि नहीं है उन्हें इनसे दूर ही रहना चाहिए, क्यूंकि ऐसे लोग आते तो
हैं बड़ी उत्सुकता से अपनी जिज्ञासा लेकर, पर जब उन्हें कोई समझाने वाला नहीं
मिलता, तो वे बात को ठीक से समझ नहीं पाते और फिर वही लोग इस दिव्य विद्या का
उपहास करना शुरू कर देते हैं ! पर सही ज्ञान देने वाला नहीं मिला तो इसमें इस
विद्या का क्या दोष ? और आप खुद ही कल्पना करिए अगर हम इन सरल बातों को ध्यान
पूर्वक समझकर अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लें तो हम कितने लोगों के बीच का
द्वेष, मनमुटाव इत्यादि मिटा सकते हैं | क्यों आज कल इतना पार्टनर्स में मतभेद हो
रहा है, पहले के ज़माने में ऐसा क्यों नही होता था ..
राशि- मैत्री, अमैत्री स्वभाव :
मित्र-तत्व :
पृत्वी तत्व + जल तत्व
अग्नि तत्व + वायु तत्व
अमैत्री तत्व :
पृथ्वी तत्व + अग्नि तत्व
जल तत्व + अग्नि तत्व
जल तत्व + वायु तत्व
राशि तत्व :
पृथ्वी तत्व – वृष, कर्क, कन्या, मकर |
जल तत्व – वृश्चिक, मीन |
वायु तत्व – मिथुन, तुला, कुम्भ |
अग्नि तत्व – मेष, सिंह, धनु |
Good information, kunaal bhai.
ReplyDeleteYadi dono indivisuals ke tatva shaman ho to kaisa mel rahta h
ReplyDeleteGood match.
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