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Thursday, May 1, 2014

परामनोवैज्ञानिक ऊर्जा कैसे प्राप्त की जाती है

शरीर को संचालित करने के लिए दो क्रियाएं आवश्यक हैं, एक तो स्वांस लेना और दूसरा स्वांस छोड़ना, इन दोनों ही क्रियाओं के उचित तालमेल को 'प्राणायाम' कहते हैं !

इस प्राणायाम के माध्यम से प्राण, अर्थात् मन को बांधा जाता है, उसे आयाम दिया जाता है, और फिर संसार के तीव्रतम मंत्र जिसे तिब्बत्ती भाषा में गायत्री मंत्र कहा जाता है, उस मंत्र "सोऽहं" को निरंतर जप कर उक्त शक्ति प्राप्त की जाती है |

"सो" के द्वारा स्वांस अन्दर लिया जाता है, और "हं" के द्वारा स्वांस को निक्षेप किया जाता है, और इस प्रकार से एक पूरा विद्युत प्रवाह बनाया जाता है, और वह विद्युत प्रवाह तीव्र वाहक एवं उच्चतम शक्ति संचिभूत करता है |

और इसी शक्ति को संचिभूत कर तीसरे नेत्र के द्वारा हजारों मील दूर उड़ते हुए, या चलते हुए प्रक्षेपास्त्र अथवा राकेट को समाप्त किया जा सकता है, उस साधक में श्राप देने की अथवा वरदान देने की अद्भुत क्षमता आ जाती है !

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मानसिक तनाव से
मुक्ति का
अमोघ मंत्र -

ॐ परम तत्वाय
नारायणाय
गुरुभ्यो नमः ||

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