पारद संस्कार के बारे में मेरी एक वरिष्ठ गुरु भाई से चर्चा हो रही थी, वे सन 1993 से सदगुरुदेव के निर्देश में पारद संस्कार करते आ रहे है, उन्होंने अति-कृपा करके मुझे कई ऐसे ज्ञानवर्धक एवं अति-दुर्लभ रहस्यमयी बातें बतायीं इस विषय में | पारद पे मेरे लेख उन्हीं कि INSPIRATION से है |
बीसवीं शताब्दी के कुछ रस सिद्ध आचार्यों के नाम इस प्रकार से हैं -
१. श्याम गिरी सन्यासी |
२. बी० एस० प्रेमी |
३. त्रिलोक नाथ आज़मी – पारद के 18 संस्कार के पूर्ण ज्ञाता |
४. ए० पी० आचार्य |
५. कृष्ण राम भट्ट (जयपुर वाले) |
६. रखाल दास घोश (पश्चिम बंगाल से) |
७. सुधीर रंजन भडोदी |
९. पुष्कर वनखंडी बाबा – जो कि पारद के अन्यतम आचार्यों में से एक गिने जाते हैं |
इन सभी रस ज्ञाताओं ने पारद को बुभुक्षित करने के महत्वा को एक स्वर से स्वीकार किया है, पारद को बुभुक्षित करने कि क्रिया और उससे पारद को अनंत शक्ति संपन्न बनाने कि महत्वता को बताया है | और ये सभी रस सिद्ध जन 20 वीं शताब्दी के ही हैं, यह नहीं कि कोई अति-प्राचीन या लुप्त प्राय बात यहाँ हो रही हो मगर दुविधा ये है हमारे सामने कि इनमें से कोई भी रस सिद्ध वर्तमान में नहीं हैं | उनके अनुसार कार्य करने वाले तो जरूर हैं, हमारे पास उनके लिखे गये ग्रन्थ तो जरूर हैं, मगर उनका इस दुनिया में न होने से इस विषय का क्रियात्मक ज्ञान PRACTICAL KNOWLEDGE हमारे पास नहीं है ! मगर यह भी सही है कि अगर सही से मार्गदर्शन देने वाला मिल जाये तो कुछ भी अप्राप्य नहीं | इनके ही अनुयायी या इनसे सीखकर करने वाले भी बहुत से लोग आज हैं, वे अब सामने आयें यही इस विद्या को जीवित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक और अनिवार्य क्रम होगा, ऐसा अति दुर्लभ एवं दिव्य ज्ञान , दुर्लभ से कहीं अब लुप्त ही न हो जाये |
श्री कृष्ण पाल शास्त्री जी भुवनेश्वरी शक्ति पीठ गौन्डल में रहकर आचार्य चरण तीर्थ जी महाराज से पारद विद्या सीखकर 18 संस्कार में निष्णात हुए थे | और उस काल में करीब-करीब वे सारे आचार्य आपस में मिलते भी थे और इस विषय पर ज्ञान चर्चा एवं वार्तालाप भी करते रहते थे, और आज जब विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, आज जब दूर भाष बस हाँथ का और उँगलियों का खेल बनके रह गया है, तो जानकार ही कम बचे हैं, और जो हैं भी, वे मौन बने रहते हैं | ऐसा क्यूँ.... और क्या ये भविष्य के लिए अछि सोच है, अतः आप ससे निवेदन है कि जो भी विद्वान् इन विषयों में ज्ञान रखते हों वे सामने आयें ज्ञान का आदान-प्रदान हो..
परम पूज्य सगुरुदेव जी के निर्देश में कई हमारे गुरु भाइयों ने सन 1990 कि दशक में पारद संस्कार करना प्रारंभ किया, WEST BENGAL इत्यादि जगहों से कई भाई हैं जो कि फेसबुक के माध्यम से भी जुड़े हुए हैं | अन्य कई-कई बातें और सामने आने हैं, अभी तो बहुत कुछ ही सामने आना बांकी है, जैसे-जैसे सदगुरुदेव कि इच्छा...
इन सभी रस ज्ञाताओं ने पारद को बुभुक्षित करने के महत्वा को एक स्वर से स्वीकार किया है, पारद को बुभुक्षित करने कि क्रिया और उससे पारद को अनंत शक्ति संपन्न बनाने कि महत्वता को बताया है | और ये सभी रस सिद्ध जन 20 वीं शताब्दी के ही हैं, यह नहीं कि कोई अति-प्राचीन या लुप्त प्राय बात यहाँ हो रही हो मगर दुविधा ये है हमारे सामने कि इनमें से कोई भी रस सिद्ध वर्तमान में नहीं हैं | उनके अनुसार कार्य करने वाले तो जरूर हैं, हमारे पास उनके लिखे गये ग्रन्थ तो जरूर हैं, मगर उनका इस दुनिया में न होने से इस विषय का क्रियात्मक ज्ञान PRACTICAL KNOWLEDGE हमारे पास नहीं है ! मगर यह भी सही है कि अगर सही से मार्गदर्शन देने वाला मिल जाये तो कुछ भी अप्राप्य नहीं | इनके ही अनुयायी या इनसे सीखकर करने वाले भी बहुत से लोग आज हैं, वे अब सामने आयें यही इस विद्या को जीवित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक और अनिवार्य क्रम होगा, ऐसा अति दुर्लभ एवं दिव्य ज्ञान , दुर्लभ से कहीं अब लुप्त ही न हो जाये |
श्री कृष्ण पाल शास्त्री जी भुवनेश्वरी शक्ति पीठ गौन्डल में रहकर आचार्य चरण तीर्थ जी महाराज से पारद विद्या सीखकर 18 संस्कार में निष्णात हुए थे | और उस काल में करीब-करीब वे सारे आचार्य आपस में मिलते भी थे और इस विषय पर ज्ञान चर्चा एवं वार्तालाप भी करते रहते थे, और आज जब विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, आज जब दूर भाष बस हाँथ का और उँगलियों का खेल बनके रह गया है, तो जानकार ही कम बचे हैं, और जो हैं भी, वे मौन बने रहते हैं | ऐसा क्यूँ.... और क्या ये भविष्य के लिए अछि सोच है, अतः आप ससे निवेदन है कि जो भी विद्वान् इन विषयों में ज्ञान रखते हों वे सामने आयें ज्ञान का आदान-प्रदान हो..
परम पूज्य सगुरुदेव जी के निर्देश में कई हमारे गुरु भाइयों ने सन 1990 कि दशक में पारद संस्कार करना प्रारंभ किया, WEST BENGAL इत्यादि जगहों से कई भाई हैं जो कि फेसबुक के माध्यम से भी जुड़े हुए हैं | अन्य कई-कई बातें और सामने आने हैं, अभी तो बहुत कुछ ही सामने आना बांकी है, जैसे-जैसे सदगुरुदेव कि इच्छा...
Pranaam Bhaisahab
ReplyDeleteCould you please guide us to a trustworthy place, where we can get Good Suddh-Sanskarit Parad Shivling (Rasheshwar)